छत्तीसगढ़

गौठान में गोबर बेचकर कमाये पैसों से अमन ने खरीदी भैंसे

— लखाली गौठान में गोबर से कमाए 1 लाख 40 हजार रूपए
— गौठान से जुड़ी समूह की महिलाओं को मिल रही आजीविका
जांजगीर-चांपा। गोबर बेचकर पैसे भी कमाये जा सकते हैं ऐसा कभी नहीं सोचा था, लेकिन जब से राज्य शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना शुरू हुई है तब से यह संभव होने लगा है। गौठान में गोबर बेचकर पशुपालक घर की मरम्मत, बच्चों की पढ़ाई, शादी-विवाह, गहने, मोटर साइकिल आदि में खर्च कर रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं अमन चंद्रा। जिन्होंने 1 लाख 40 हजार रूपए का गोबर बेचकर उस राशि से भैंसे खरीद ली और अपने व्यवसाय में वृद्धि की और जो पैसे बचे उससे पशुओं के रहने के लिए स्थान की मरम्मत कराई। अमन सरकार की गोधन न्याय योजना से बेहद ही खुश हैं क्योंकि उनको गोबर से अब फायदा हो रहा है।
जांजगीर-चांपा जिले की जनपद पंचायत बम्हनीडीह के ग्राम पंचायत लखाली गौठान में गोधन न्याय योजना में शुरूआत से ही पशुपालक श्री अमन चंद्रा पंजीकृत हो गए थे। अमन बताते हैं कि उन्होंने गौठान में 70 हजार किलोग्राम गोबर का विक्रय किया है, जिससे उन्हें 1 लाख 40 हजार रूपए की आय हुई।
वर्मी कम्पोस्ट से जुड़ा समूह
गौठान में गोधन न्याय योजना से 172 पशुपालक पंजीकृत हैं, यह पशुपालक नियमित रूप से गौठान में गोबर बेच रहे हैं अब तक गौठान में 3 लाख 40 हजार 812 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई। इससे गोबर से 25 हजार 500 किलोग्राम सुपर कम्पोस्ट एवं 86 हजार 360 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट तैयार की गई। वर्मी कम्पोस्ट से जुड़ी रानी लक्ष्मी बाई स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती आधार बाई चंद्रा ने बताया कि गौठान से जुड़ने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा गौठान में वर्मी कम्पोस्ट को आजीविका के रूप में चयन किया। जिसमें शुरूआत में 50 हजार रूपए की लागत लगाने के बाद गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया। वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय से समूह को 1 लाख 20 हजार रूपए की आय अर्जित हुई, जिससे समूह की महिलाएं अच्छे से गुजर-बसर कर पा रही हैं। समूह ने आजीविका गतिविधियों से होने वाले फायदे को समझा और मछलीपालन करना शुरू किया। इस कार्य में भी उन्होंने आमदनी प्राप्त की। इसी गौठान में प्रगति महिला स्व-सहायता समूह मुर्गीपालन करते हुए अपनी आजीविका प्राप्त कर रहा है। मुर्गीपालन में 40 हजार रूपए का व्यय करते हुए दोगुनी आय अर्जित की और 80 हजार रूपए आमदनी प्राप्त की। इस समूह के द्वारा ही सब्जी बाड़ी का कार्य भी किया जाता है जिसमें उनके द्वारा शुरूआत 10 हजार रूपए से की। गांव में ही सब्जियों को बेचकर समूह ने 15 हजार रूपए की आय प्राप्त की। जीवन ज्योति स्व सहायता समूह ने मशरूम का कार्य शुरू किया है।

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