भगवान श्रीराम की भक्ति में सराबोर रहा समापन समारोह, राष्ट्रीय रामायण महोत्सव की झलक दिखी रामगढ़ महोत्सव में
सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने दी रंगारंग प्रस्तुतियां, सरगुजिहा व छत्तीगढ़ी गीत-संगीत ने दर्शकों का मोहा मन
दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव सम्पन्न
अम्बिकापुर 06 जून 2022/ आषाढ़स्य प्रथम दिवसे के अवसर पर आयोजित रामगढ़ महोत्सव का दूसरा दिन भगवान श्रीराम की भक्ति में सराबोर रहा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा राम वनगमन पर्यटन परिपथ में शामिल रामगढ़ की ख्याति बढ़ती जा रही है। प्रदेश में 1 जून से 3 जून तक हुए राष्ट्रीय रामायण महोत्सव की झलक रामगढ़ महोत्सव में देखने को मिली जहां कलाकारों द्वारा रामायण के प्रसंगों पर अद्भुत प्रस्तुतियां दी गई। समापन समारोह में छत्तीसगढ़ खाद्य आयोग के अध्यक्ष श्री गुरप्रीत सिंह बाबरा, खाद्य आयोग के सदस्य श्री अभिषेक सिंह, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती राधा रवि एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार के मार्गदर्शन में आयोजित रामगढ़ महोत्सव के समापन समारोह में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यालयीन एवं आमंत्रित कलाकारों के द्वारा अद्भुत कत्थक नृत्य प्रस्तुति, सरगुजिहा और छत्तीसगढ़ी गीत, संगीत एवं नृत्य की सुंदर प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। पारंपरिक व आधुनिक गीत-संगीत से रामगढ़ गुंजायमान हो उठा। इस दौरान जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री नूतन कुमार कंवर, अपर कलेक्टर श्री एएल ध्रुव, प्रवीण गुप्ता, आदर्श बंसल, गणमान्य नागरिक गण सहित बड़ी संख्या में जनसमूह मौजूद रहा।
बड़ी संख्या में पहुंचे दर्शक- महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखने आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे थे। विद्यालयीन छात्र छात्राओं की प्रस्तुतियों से शुरू हुए कार्यक्रम का दर्शको ने आनंद उठाया। देर शाम तक पूरी दर्शक दीर्घा उत्साही दर्शकों से भरी रही।
रामगढ़ में आयोजित दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव के समापन समारोह में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई। समापन समारोह में विद्यालयीन छात्र-छात्राओं द्वारा सुंदर प्रस्तुतियों के बाद आमंत्रित कलाकारों द्वारा प्रस्तुति दी गई जिसमें सरगुजिहा लोक गायक श्री संजय सुरिला द्वारा प्रस्तुति दी गई। इसके साथ ही स्वास्तिक नृत्य समूह भिलाई एवं कला विकास केन्द्र बिलासपुर द्वारा कत्थक की शानदार प्रस्तुति दी गई। पारंपरिक गीत संगीत पर कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। पारंपरिक नर्तक दल करमा, शैला भी ग्रामीणों को खूब भाए। सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।