*कोसा उत्पादन से श्री जगत की बढ़ी आमदनी*
बिलासपुर, जून 2023/रेशम के धागे से अपने जीवन की डोर मजबूत करने में जुटे हैं गोबंद गांव के किसान श्री तितरा कुमार जगत और उनके इस प्रयास में छत्तीसढ़ सरकार से उन्हें पूरी मदद मिल रही है। रेशम के धागों से उनकी जिंदगी संवर गई है। जिले के अन्य किसानों की तरह ही श्री जगत भी रेशम विस्तार एवं विकास योजना एवं तसर कीटपालन कार्य अंतर्गत कोषा उत्पादन कर रहे है। किसान अब खेती बाड़ी, मजदूरी कार्य के साथ-साथ ग्राम में संचालित शासकीय तसर बीज कोसा पालन केंद्र में कोसा बीज कीट पालन कर रहे है। वर्ष में दो फसल कोसा पालन कर कृषि मजदूरी के साथ अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर रहे है। विगत वर्ष उन्हें 1 लाख रूपये से अधिक की आमदनी हुई।
जिले के सकरी तहसील के गोबंद ग्राम के किसान श्री तितरा कुमार जगत रेशम पालन की दिशा में आगे बढ़ रहे है। योजना से जुड़ने से पहले उनकी माली हालत ठीक नहीं थी। परिवार का पालन पोषण, बच्चों की पढ़ाई लिखाई में व अन्य घरेलू कार्य के लिए केवल मजदूरी पर आश्रित रहने के कारण कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। श्री जगत ने बताया कि योजना से जुड़ने के बाद अब वे खेती-बाड़ी, मजदूरी कार्य के साथ-साथ गांव में संचालित शासकीय तसर बीज कोसा पालन केंद्र में कोसा बीज कीट पालन कर रहे है। वे शासकीय कोसा बीज कृमिपालन केंद्र में कुल दो फसल कीटपालन कर रहे है। जिसमें तीन फसल का कृमिपालन प्रगति पर है प्रथम फसल कीटपालन कार्य कर पूर्ण हो चुका है। जिससे प्रथम फसल में 9480 नग कोसा फल प्राप्त कर 18 हजार 10 रूपये की राशि की आय भी हो चुकी है। रेशम केंद्र में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना एवं रेशम विस्तार हेतु तसर पौध संधारण के अंतर्गत किये गये मजदूरी कार्य से राशि 59 हजार 508 रूपये कर कुल आय 77 हजार 518 अर्जित किया है। इसी प्रकार केंद्र पर कुल दो फसल तसर कीटपालन कर 22 हजार 658 नग कोसाफल उत्पादन किया। जिससे 65 हजार 168 रूपये की आमदनी हो चुकी है। इसके अलावा केंद्र में मनरेगा योजना अंतर्गत जल संवर्धन के कार्याें एवं नये पौधरोपण कार्याें से 16 हजार 797 रूपये, विभागीय तसर पौध संधारण कृषि कार्याें से 18 हजार 171 रूपये, कुल मजदूरी राशि 34 हजार 962 रूपये के साथ ही विगत वर्ष कुल 1 लाख 130 रूपये की आमदनी श्री तितरा कुमार जगत ने की है।
श्री जगत इस कार्य से जुड़कर बहुत खुश है। वे बतातें है कि अच्छी आमदनी होने से अब वे पारिवारिक जिम्मेदारियां अच्छे से उठा पा रहे है। बच्चों के पालन पोषण एवं पढ़ाई लिखाई में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आ रही है। रेशम विभाग में समूह के माध्यम से नियमित काम मिल रहा है, जिससे परिवार का गुजार-बसर अच्छे से हो रहा है।