- जिले में मानसून की अच्छी वर्षा के साथ खरीफ की बुआई जोरों पर
- खेती-किसानी के पहले किसानों को सलाह
राजनांदगांव 28 जून 2023। मानसून की अच्छी वर्षा के साथ खरीफ की बुआई पूर्ण रूप से जोरों पर है। जब हम खेती की बात करते हैं, तब बीज की महत्ता बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है, क्योंकि बीज के ऊपर हमारा पूरा कृषि कार्य निर्भर करता है, बीज अगर स्वस्थ होगा तो पौधे भी स्वस्थ होंगे। कीड़े बीमारी का प्रकोप कम होगा और उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि होगी। वहीं यदि बीज सही नहीं है, तो बीज का अंकुरण अच्छा नहीं होगा, प्रति इकाई क्षेत्र में पौध संख्या कम होगी और यदि अंकुरित हो जाता है, तो पौधे अस्वस्थ एवं कीड़े बीमारी का प्रकोप बढ़ जाने से रोकथाम हेतु फसल औषधि का अधिक उपयोग करने के कारण उत्पादन लागत बढ़ जाती है। इसलिए बीज का अंकुरण परीक्षण बहुत जरूरी है।
इस वर्ष खरीफ में कृषकों को सोयायटी के माध्यम से उन्नत बीज उपलब्ध कराया गया है। जिसमें शीघ्र पकने वाली किस्म एमटीयू 1010-1394.70 क्विंटल, एमटीयू1153- 339 क्विंटल, मध्यम अवधि में पकने वाली किस्म महामाया-962 क्विंटल, देर पकने वाली किस्म स्वर्णा सब 1-1797.80 क्विंटल, संपदा 422.40 धान की उन्नत किस्मों का जिले में भंडारण एवं वितरण कर कृषकों को उपलब्ध कराया गया है।
बीज अंकुरण परीक्षण-
किसान अपने खेत में फसल लेने के लिए बीज की व्यवस्था या तो कर लिए हैं या कर रहे हैं। इसमें एक बात ध्यान में रखना बहुत जरूरी है, कि हम बीज का स्त्रोत जैसे सोसायटी एवं गांव के किन्ही उत्कृष्ट कृषक से अदला बदली द्वारा व्यवस्था किए हैं, तो बीज की अंकुरण सही होने का कोई जीवंत प्रमाण नहीं होता है। इसलिए बीज की बोआई से पहले बीज का अंकुरण जांच करना बहुत जरूरी होता है। खेत में डाले गये बीज का अंकुरण सही नहीं होने पर वह स्थान पूरे फसल काल तक खाली रह जाती है एवं इस स्थान पर डाले गये रासायनिक एवं जैविक खाद प्रभावहीन हो जाते हंै। इसलिये बुआई पूर्व अंकुरण परीक्षण बहुत ही जरूरी है। इस हेतु बीज की बोरी से बीज साफ-सफाई कर छोटे एवं अस्वस्थ दाने अलग कर लें तथा बिना छांटे 100 बीज गिनकर गीली बोरी में कतार में रखकर लपेट कर रख दें। साथ ही बोरे में हल्की नमी बनाये रखें। तीन चार दिनों में बीज अंकुरण होने के बाद अंकुरित बीज की संख्या गिन ले, क्योंकि यही आपके बीज अंकुरण का प्रतिशत होगा। विभिन्न बीजों के माध्यम से उचित अंकुरण क्षमता के मापदंड अलग-अलग होते हंै। जैसे धान 80-85 प्रतिशत, उड़द 75 प्रतिशत, सोयाबीन 70-75 प्रतिशत है। अंकुरण परीक्षण में इस मापदण्ड से थोड़ा अंतर होने पर बीज की मात्रा बढ़ाकर बोआई करें। यदि बीज का अंकुरण प्रतिशत मापदण्ड से बहुत कम है, तो उस बीज की बुआई न करें तथा बीज स्त्रोत को बीज वापस करें एवं तुंरत नजदीकी कृषि अधिकारी को जानकारी दें। बीज की अंकुरण की पौध संख्या पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसलिए बीज की अंकुरण जांच करके ही बीज की बुआई करें।
17 प्रतिशत नमक घोल उपचार-
खेत में धान की बुआई के कुछ दिन पश्चात अंकुरण दिखता है। लेकिन बाद में पौध संख्या कम हो जाती है। यह इसलिये होता है, क्योंकि जब हम बीज की खेत में बुआई करते हंै, उस समय मटबदरा एवं कीेड़े से प्रभावित बीज खेत में पहुंचते हैं एवं अंकुरित भी हो जाते हैं। तब हमें लगता है कि पौध संख्या अच्छी है। लेकिन मटबदरा एवं कीेड़े से प्रभावित बीज से उगे पौधे कुछ दिन बाद मर जाते हंै। क्योंकि मटबदरा एवं कीड़े से प्रभावित बीज में पौध को जड़ के विकसित होने तक भोजन नहीं मिल पाता है। इसलिये हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ बीज की बोआई करना बहुत जरूरी है।
हष्ट पुष्ट बीज प्राप्त करने के लिये 17 प्रतिशत नमक घोल धान बीज का उपचार करें। इसके लिए 10 लीटर पानी में 1 किलो 700 ग्राम नमक को घोलें या ग्राम स्तर पर एक आलू या एक अण्डा की व्यवस्था करें। पहले टब या बाल्टी में पानी ले फिर उसमें आलू या अण्डा डालें। आलू एवं अण्डा बर्तन के तल में बैठ जायेगी। लेकिन जैसे-जैसे नमक डालकर घोलते जायेंगे। उपर आते जायेगा और 17 प्रतिशत घोल तैयार हो जायेगा तब अण्डा या आलू पानी के उपरी सतह पर तैरने लगेगा। इसके बाद अण्डा या आलू को पानी से निकाल कर बीज को इस घोल में डालें और हाथ से हिलायें एवं 30 सेकण्ड के लिए छोड़ दें। ऐसा करने से धान का बदरा, मटबदरा, कटकरहा धान, खरपतवार के बीज तथा कीड़े से प्रभावित बीज पानी के उपर तैरने लगेंगे। उसे अलग बर्तन में रखें और जो बीज बर्तन के नीचे तल में बैठ गया है। उसे अलग कर साफ पानी से धोंये उसके तुंरत बाद बुआई करना है, तो खेत में बुआई करें या फिर धूप में सुखाकर सुरक्षित भंडारण करें। ऐसा करने से हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ बीज प्राप्त होगा। कटकरहा, बदरा, मटबदरा, कीट से प्रभावित बीज एवं खरपतवार, बीज से आसानी से अलग हो जाता है।