छत्तीसगढ़

मणिपुर में नया सूरज तब उगेगा माननीय प्रधानमंत्री जी जिस दिन आप ,आपकी विचारधारा,आपकी पार्टी पूर्वोत्तर में विभाजनकारी सांप्रदायिक नीतियों से बाज आयेंगे- रुचिर गर्ग

प्रधानमंत्री जी ने आज लोकसभा में मणिपुर पर क्या बोला?

यही कि सब के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है !

नेहरू इंदिरा जिम्मेदार हैं!

यही कहना था तो तीन महीने क्यों लगा दिए भाई?

मणिपुर में नया सूरज तब उगेगा माननीय प्रधानमंत्री जी जिस दिन आप ,आपकी विचारधारा,आपकी पार्टी पूर्वोत्तर में विभाजनकारी सांप्रदायिक नीतियों से बाज आयेंगे।

कांग्रेस की गलतियां गिनाते नौ साल गुजर गए लेकिन मणिपुर की महिलाओं के साथ जो घटा उस दर्द पर बोलने के लिए क्या अविश्वास प्रस्ताव का इंतजार था?

आज सदन में आप भाषण नहीं दे रहे थे ,सांसदों की अपनी टीम से नारे लगवा रहे थे।याद नहीं आ रहा है पर ऐसा शायद संसदीय इतिहास में कभी ना हुआ होगा।

आप अर्थव्यवस्था पर अपनी पीठ ठोक रहे थे।

बैंकों का हाल बता रहे थे।

आज आपको राष्ट्रीयकृत बैंक तारीफ के लायक लग रहे हैं !

जानिए इस बात को कि अगर राष्ट्रीयकृत बैंकों ने अच्छा किया है तो उसमें आपकी सरकार की कोई भूमिका नहीं है!

यह इस देश के सार्वजनिक क्षेत्र की ताकत है,जिसे दरअसल आप तबाह करने की सारी कोशिशें कर रहे हैं ।

देश जानता है कि आप भारत के सार्वजनिक क्षेत्र को अपने सूट बूट वाले दोस्तों के कदमों में डालना चाहते हैं !

जिस सार्वजनिक क्षेत्र ने देश की आत्मनिर्भरता में सबसे बड़ी भूमिका निभाई उसे अपने कॉरपोरेट मित्रों और अपनी कॉरपोरेट पसंद नीतियों के कारण तबाह करने में आपने कोई कोर कसर न छोड़ी है।

आपने हवाई अड्डे बेचे,रेलवे से लेकर भेल , कोल इंडिया ,सेल तक और भारत पेट्रोलियम से लेकर रक्षा क्षेत्र तक आपकी सरकार के कारनामे तथ्यों के साथ दर्ज हैं और उम्मीद है कि जल्दी ही इन क्षेत्रों के विशेषज्ञ इन तथ्यों के साथ आपके दावों को धज्जियां उड़ाएंगे!

मोदी जी आप अचानक सार्वजनिक क्षेत्र के पैरोकार नजर आए यह देख कर खुशी हुई पर आपको यह भी बताना था कि गौतम अडानी दुनिया के सबसे संपन्न लोगों की सूची में तेजी से ऊपर कैसे पहुंचे और बहुत तेजी से लुढ़के क्यों ?

दरअसल आपको सार्वजनिक क्षेत्र की ताकत का एहसास है ही नहीं।

आपको एहसास नहीं है कि जब दुनिया मंदी की गिरफ्त में थी तब इस देश को सार्वजनिक क्षेत्र का कितना बड़ा सहारा था!

आपको याद नहीं है कि कोरोना काल में जब बड़ा संकट था तब सार्वजनिक क्षेत्र किस तरह सामने आया था!

दरअसल सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों की फौज ने उसे कैसे मजबूत बनाया और कैसे जवाहर लाल नेहरू से लेकर बाद की कांग्रेस और फिर यूपीए सरकारों ने उसे ताकत दी, यह बात तो आप लोगों की तकलीफ का कारण हुआ करती थी।

आप और आपकी विचारधारा झूठे नैरेटीव गढ़ने में माहिर हैं।

देश के विभाजन के लिए आप कांग्रेस को कोसते हैं पर इतिहास के उन पन्नों को झांकते नहीं हैं जहां विभाजन को लेकर जिन्ना और सावरकर एक राय के साथ मौजूद हैं!

आप जब कांग्रेस से कहते हैं ना कि उसके कार्यकाल में पाकिस्तान ऐसा था और वैसा था तब आपको अपनी पाकिस्तान यात्रा के औचित्य से लेकर पुलवामा तक के सवालों का जवाब देना चाहिए।

आपको बताना चाहिए कि अटल बिहारी बाजपेयी अगर दोस्ती के सफर पर पाकिस्तान गए थे तो उन्होंने क्या गलत किया था!

आपको यह बात स्वीकार करने में तकलीफ महसूस होती होगी कि आज चीन हमारी धरती पर कहां तक घुस आया है और कैसे इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो फाड़ कर दिए थे।

दिक्कत यह है कि सूचनाओं पर इन दिनों आपकी सरकार का भरपूर नियंत्रण है और मीडिया नाम के दैत्य को आपने इस देश–समाज की बर्बादी के लिए छोड़ा हुआ है।

यही मीडिया इस समय जनता के मस्तिष्क को नियंत्रित करने में लगा हुआ है।

आपको यह भी लगता है कि जनता की स्मृतियां बहुत छोटी हैं।

आपकी दिक्कत यह भी है कि आपके समर्थकों में इतनी बुद्धि बची नहीं है कि वे इतिहास खंगाले,तथ्यों की पड़ताल करें ताकि आपके झूठ उनके सामने बाकी देश की तरह बेनकाब हो सकें।

आपकी दिक्कत यह भी है कि संसद को आप एक ऐसे मंच की तरह देखते हैं जहां लोकतांत्रिक विमर्श के बजाए बस मोSSSदी–मोSSSदी होता रहे है!

आपकी आस्था यदि लोकतंत्र में होती ,और सच में होती तो आप संसद में नियमित मौजूद रहते।पहले ही दिन मणिपुर के दर्द पर मरहम लगाते,उन आरोपों का जवाब देते कि दरअसल मणिपुर में आग एक एजेंडा है,नफरत का एक प्रोजेक्ट है और संसाधनों पर कब्जे की नापाक कोशिश है!यह पहली बार हो रहा है और आपके कार्यकाल में हो रहा है कि सुरक्षा बल आमने–सामने हुए हैं!

और हां लोकतंत्र पर भी क्या खूब बात निकली!

क्या देश की जनता भूल जाए कि कर्नाटक,मध्यप्रदेश या महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लोकतंत्र को आपकी पार्टी ने कैसे रौंदा है?

क्या इस बात को भूल जाएं कि आपकी पार्टी ने भ्रष्टाचार वॉशिंग मशीन लगाई हुई है जहां बस घुसना है और सारे दाग धुल जाते हैं !

छोड़िए इन बातों को।

आपका पूरा भाषण शुरू में बेहद कमजोर था फिर जैसे ही I.N.D.I.A ने सदन छोड़ा तो आप क्रुद्ध हो उठे और फिर तो आपको मानो नई ऊर्जा मिल गई और आप एक के बाद एक कांग्रेस के खिलाफ अपने सारे वैचारिक दुराग्रहों को भरपूर व्यंग्यात्मक अंदाज में उड़ेलते चले गए।

दुख इस बात का नहीं है माननीय प्रधानमंत्री जी कि आपने कांग्रेस के खिलाफ कुछ कहा।

वो तो आपको कहना ही था क्योंकि राहुल गांधी जैसे धर्मनिरपेक्ष,संविधान के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और अमन–मोहब्बत पसंद नेता के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ही आपकी आंखों में आंखें डाल कर लड़ रही है।

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल जैसे नेता यही कर रहे हैं।

आप जानते हैं कि आपका मुकाबला कांग्रेस पार्टी और वो जिन धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ खड़ी हैं उन तमाम लोगों से है !

दुख इस बात का है कि आज सदन में एक प्रधानमंत्री नहीं बोल रहा था।

हम जैसे लोगों ने इसी सदन में ऐसे भाषण सुने हैं जो आज भी राजनीतिक शिक्षण का काम करते हैं ।इनमें अटल जी को भी रखना चाहूंगा।

दुख इस बात का है कि आपको एक बार तो बोलना था कि हां इस देश में नफरत बहुत फैल गई है।

आप कहते कि अब देश को मोहब्बत और सद्भाव की बात करनी चाहिए।

यह भी कि अब कोई मॉब लिंचिंग ना हो सरकार यह सुनिश्चित करेगी।

आप यह भी कह देते कि अब धर्म के आधार पर या कपड़ों से कोई नहीं पहचाना जाएगा।

यह भी कि ऐसा हम सब मिल कर सुनिश्चित करेंगे!

यह भी कहते कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अब कोई चेतन किसी ट्रेन में निर्दोषों को नहीं मार सकेगा और मारते हुए आपको और योगी जी को वोट देने का आदेश नहीं देगा !

ऐसा कह भी देते तो आज आप मंच लूट ले जाते माननीय प्रधानमंत्री जी।

लेकिन ऐसा तो कहना नहीं था।

सबसे बड़ी लड़ाई और किस बात की है ?

यही तो कि आप और आपकी पार्टी का एजेंडा नफरत है और इस नफरत के खिलाफ अब इंडिया खड़ा हुआ है जिसे आप और आपके लोगों ने सिर्फ फूहड़ तुकबंदी के चक्कर में घमंडिया कहना शुरू किया बल्कि आपने तो इंडिया के हर अक्षर के बाद डॉट लगाना भी याद दिलाया।

इंडिया के हर अक्षर के बाद जो डॉट है ना वो हर अक्षर को जोड़ने वाली जनता है।

लेकिन देखिए अब आगे क्या होता है?आप जीतते हैं या मोहब्बत !
हमारा भरोसा तो इस अमन पसंद देश और उसकी जनता पर भरपूर है जिसे एक नफरती विचारधारा जहरीला बनाने की पूरी कोशिश कर रही है।सफल भी हो रही है… पर यह चेतना की लड़ाई है जो तेज हो रही है,बहुत तेज और जानिए कि जीतेगी जनता ,जीतेगी मोहब्बत!

अंतिम बात –आपने अविश्वास प्रस्ताव की आंच को महसूस किया नहीं!

यह आंच आपको सबसे पहले तो राज्यों के चुनावों में महसूस होने जा रही है।

और हां भाई ईवीएम वालों अभी से मशीनों को दुरुस्त करने की तैयारियां करो!

तेल पानी लगाओ!

लोकतंत्र को ईवीएम से बड़ी उम्मीदें हैं !

आपके और आपकी सरकार के प्रति अविश्वास को एक वोट मेरा भी कुबूल हो !

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