- कम उपजाऊ एवं कम पानी में भी होता है उत्पादन
- औषधीय गुणों से भरपूर है रागी
राजनांदगांव 06 सितम्बर 2023। कृषि परिदृश्य के बदलते स्वरूप के साथ जिले में फसल विविधिकरण को कृषि विभागीय योजनाओं के तहत क्रियान्वयन कर कृषकों को लाभान्वित किया जा रहा है। ग्रीष्मकालीन धान की खेती से सतही एवं भूगर्भित जल का अंधाधुंध उपयोग से जल स्तर में कमी वर्तमान में संकट का कारण बना हुआ है। कम जल में अधिक उत्पादन एवं लाभ दिलाने वाली फसलों की खेती को शासन स्तर से प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि विभाग की महत्वाकांक्षी मिलेट मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास (रफ्तार) एवं एक्टेंशन रिफॉम्र्स (आत्मा) योजना अंतर्गत राजनांदगांव विकासखण्ड के ग्राम धामनसरा, सुरगी एवं जंगलेसर के कृषकों द्वारा कुल 106 हेक्टेयर में रागी की खेती कुल 100 कृषकों द्वारा किया गया है।
उप संचालक कृषि श्री नागेश्वर लाल पाण्डे ने बताया कि ग्राम धामनसरा में रबी वर्ष 2022-23 में 106 हेक्टेयर में रागी (लघु धान्य) फसल की खेती प्रगतिशील कृषक श्री योगेश पटेल, श्री डोमन चन्द्राकर, श्रीमती शोमा मेहनोत्रा, श्री पलाश गुप्ता, श्री संतराम साहू एवं अन्य 100 कृषकों द्वारा किया गया। अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के अवसर पर समर्थन मूल्य की घोषणा के पश्चात कृषकों में लघु धान्य खेती की ओर रूचि बढ़ी है। कृषि विभाग के अमलों द्वारा दी जा रही तकनीकी मार्गदर्शन से किसानों में रागी फसल की खेती को प्रोत्साहन मिला है। रागी फसल पोषक तत्वों से भरपूर कम खाद एवं कम पानी में सभी प्रकार की भूमि में इनकी खेती आसानी से किया जा सकता है। गत रबी वर्ष 2021-22 में 25 एकड़ में रागी फसल प्रदर्शन का अयोजन किया गया, जिसमें कृषि विभाग की योजना से प्रभावित होकर कृषक श्री डोमन चंद्राकर, श्री संतराम साहू, श्री पलाश गुप्ता, श्री योगेश पटेल द्वारा रागी फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर कृषकों के उत्पादित बीज को बीज निगम में 5711 रूपए प्रति क्विंटल के दर से विक्रय कर अच्छा लाभ प्रदाय किया गया। जिससे प्रभावित होकर वर्ष 2023-24 में राजनांदगांव विकासखण्ड के अन्य 100 कृषकों को बीज वर्मी कम्पोस्ट खाद, जैविक पौध संरक्षण औषधि मुफ्त में वितरण किया गया।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष में भी बीज निगम में सभी कृषकों का पंजीयन कर कृषकों को लाभान्वित किया जा रहा है, जिसमें किसानों को बीज विक्रय करने में आसानी हो रही है और कृषकों को अच्छी कीमत प्राप्त हो रही है। इसके साथ ही समय-समय पर किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन के लिए वैज्ञापिकों द्वारा प्रदर्शन (कलस्टर) स्थल पर कृषक संगोष्ठी आत्मा योजना द्वारा आयोजित किया जा रहा है। रागी फसल में पोषक तत्वों कैल्शियम, फासफोरस, जिंक, बोरान, आयरन, प्रोटीन, फाइबर प्रचुर मात्रा में विद्यमान होने के साथ यह मधुमेह, ऑस्टियोपोरोसिस, कार्डियोवैस्कुलर, ओबेसिटी (मोटापा) एवं अल्सर जैसे आज की जीवन शैली की बीमारियों के लिए औषधीय गुणों से भरपूर है। यह कम उपजाऊ वाले जमीन में उगाई जा सकती है। इसमें कीट व्याधि का प्रकोप कम होता है और जल व पोषकतत्वों की कम आवश्यकता होती है, जिससे लागत कम आती है। इसके प्रशंसकृत, मूल्य प्रवर्धित अनेक प्रकार के व्यंजन जैसे रागी का आटा, लड्डू, खीर, इडली, दोसा, पापड़, छत्तीसगढ़ी व्यंजन में खुरमी, कटुवा, कतरा, चीला अन्य स्वादिष्ट व्यंजन गौठान की महिला स्वसहायता समूह द्वारा तैयार कर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रही है। क्लस्टर में 106 हेक्टेयर में 55 हेक्टेयर का पंजीयन किया गया। प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 20 क्विंटल आया है। 100 कृषकों की आय 57 लाख 32 हजार 100 रूपए प्राप्त हुई। जिससे किसानों को अधिक अर्थिक लाभ प्राप्त हुआ और भविष्य में भी कृषक रागी फसल लेने को तैयार है।