छत्तीसगढ़

जिला राजनांदगांव में 09 सितंबर 2023 की नेशनल लोक अदालत संपन्न

  • वर्चुअल और भौतिक उपस्थिति मोड में नेशनल लोक अदालत में लगभग 36521 प्रकरण से अधिक मामले निपटाए गए
    राजनांदगांव, अगस्त 2023। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के तत्वाधान एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन एवं जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के मार्गदर्शन में नेशनल लोक अदालत का वर्चुअल और भौतिक उपस्थिति मोड में आयोजन किया गया।
    सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में लोक अदालत आयोजित की गयी। जिला राजनांदगांव, जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी एवं जिला खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई में न्यायालय में लंबित, राजस्व न्यायालय एवं प्री-लिटिगेशन के 38398 प्रकरणों को निराकरण के लिए चिन्हित किया गया। शुक्रवार को जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री आलो कुमार के नेतृव्व में नेशनल लोक अदालत के आयोजन की सभी तैयारी पूर्ण कर ली गयी थी।
    नेशनल लोक अदालत आयोजित करने के लिए कुल 41 खंडपीठों का गठन किया गया था। इस लोक अदालत में 36521 मामलों का सफलतापूर्वक निपटान किया गया। निपटान किए गए मामलों में कुल 34259 मामले प्री-लिटिगेशन चरण के थे और 2262 मामले ऐसे थे जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित थे, निपटान राशि लगभग 53020646 रूपए थी।

मामले लंबित प्री-लिटिगेशन कुल
सुनवाई किये गये 2825 35573 38398
निपटान किये गये 2262 34259 36521
निपटान मूल्य (रुपये में) 42468673 10551973 53020646

नेशनल लोक अदालत में आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट से संबंधित मामले अर्थात् चेक से संबंधित मामले, वैवाहिक विवाद के मामले, श्रम विवाद के मामले, बैंक ऋण वसूली वाद, रूपया वसूली वाद, विद्युत बिल एवं टेलीफोन बिल के मामले, भूमि अधिग्रहण से संबंधितमामले, राजस्व न्यायालय के मामले एवं अन्य राजीनामा योग्य वाद आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई।

सफल कहानी
महिला पर 9 वर्ष पूर्व से लंबित चले आ रहे प्रकरण का आपसी राजीनामा के आधार पर निराकृत
पुलिस चौकी चिखली द्वारा धारा 294, 323, 506/34 भारतीय दण्ड संहिता के तहत अभियुक्त रमेश छेद्दया आत्मज सुखराम छेद्दया एवं अभियुक्ता मधु मरकाम पिता भारत मरकाम के विरूद्ध न्यायालय में अभियोग पत्र 19 सितम्बर 2014 को अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था। 17 नवम्बर 2017 से अभियुक्ता मधु मरकाम अनुपस्थित होने परिणामस्वरुप उसके विरूद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया तथा 21 नवम्बर 2019 को उसे फरार घोषित कर उसके विरूद्ध स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।
प्रकरण के अन्य अभियुक्त रमेश छेद्दया के विरूद्ध प्रकरण का विचारण करते हुए 22 जनवरी 2020 को निर्णय घोषित किया गया। 07 जुलाई 2023 को अभियुक्ता मधु मरकाम को गिरफ्तार का इस न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, वह अपनी छोटी की बेटी के साथ न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुई तथा उसने उपस्थित होने पर बताई कि वह शादी होकर उज्जैन चली गई है और उसे पेशी तारीख की जानकारी नहीं होने से वह पेशी पर उपस्थित नहीं हो पायी। यद्यपि न्यायालय द्वारा उसे जमानत-मुचलके पर रिहा किया गया। प्रकरण की प्रार्थिया ज्योति कण्डरा को न्यायालय द्वारा राजीनामा हेतु प्री-सीटिंग की नोटिस देते हुए प्रकरण को नेशनल लोक अदालत में रखा गया।
नेशनल लोक अदालत को खण्डपीठ क्रमांक-7 के पीठासीन अधिकारी श्री दिग्विजय सिंह के समक्ष प्रकरण की प्रार्थिया ज्योति कण्डरा एवं अभियुक्ता मधु मरकाम उपस्थित हुई एवं उन्होंने आपसी सौहाद्र एवं मित्रतापूर्ण वातावरण में प्रकरण में राजीनामा करने को तैयार हुई। राजीनामा के आधार पर अभियुक्ता मधु मरकाम के विरूद्ध 09 वर्ष से लंबित चले आ रहे प्रकरण का पटाक्षेप अर्थात् निराकरण किया गया। तथापि अभियुक्ता मधु मरकाम एवं उसके अधिवक्ता सुश्री प्यारी सिन्हा के सराहनीय प्रयास से इस प्रकरण की प्रार्थिया श्रीमती ज्योति कण्डरा हंसी-खुशी राजीनामा को तैयार हुई और राजीनामा कर प्रकरण समाप्त करवाई। इस प्रकार राजीनामा के माध्यम से पुनः दोनों महिलाओं के मध्य एक सौहाद्र एवं मित्रतापूर्ण वातावरण निर्मित हुआ जो प्रशंसनीय रहा है।
सफल कहानी
दो वर्ष से अधिक समय से अलग रहे रहे पति-पत्नी के मध्य हुआ राजीनामा
न्यायालय कुटुम्ब न्यायाधीश, राजनांदगांव के न्यायालय में लंबित व्यवहार वाद प्रकरण क्रमंाक-105अ/2022, धारा-09 हिन्दु विवाह अधिनियम के मामले में जिसमें वादी ललेश कुमार साहू एवं प्रतिवादी श्रीमती उषा साहू का विवाह 2017 में हुआ था, जिसके दांपत्य जीवन से दो पुत्री संतान उत्पन्न हुई थी। तत्पश्चात् उनके मध्य विवाद उत्पन्न होने पर दोनों विगत दो वर्ष से अगल-अलग निवास कर रहे थे। उक्त पक्षकारों के मध्य राजीनामा की संभावना को देखते हुए प्रकरण में दोनों पक्षों में सामंजस्य की कार्यवाही करायी गई, जिससे दोनों पुनः अपने दाम्पत्य जीवन को दोबारा मौका दिया और साथ रहने हेतु सहमत हुए। इस प्रकार दोनों पक्षों के मध्य राजीनामा कराया जाकर प्रकरण नेशनल लोक अदालत में निराकृत किया। दोनों पति-पत्नी अपनी संतानों के साथ सुखपूर्वक निवास करने हेतु अपने घर चले गये और उनका मामला समाप्त हो गया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से उक्त पक्षकार लाभान्वित हुए।
सफल कहानी
दावा प्रकरण का राजीनामा के माध्यम से हुआ निराकरण
न्यायालय अपर मोटर दुघर्टना दावा अधिकरण, फास्ट ट्रेक कोर्ट राजनांदगांव के न्यायालय में लंबित मोटर दुघर्टना दावा प्रकरण क्रमांक-65/2023 मीना कन्नौजे विरूद्ध कीर्तन यादव वगैरह में आवेदिका मीना अर्जुनी से घोरदा बस से आई थी तथा घोरदा बस स्टैण्ड में खड़ी थी तथी बोले वाहन के चालक द्वारा वाहन को तेजी एवं लापरवाहीपूर्वक चालन करते हुए आवेदिका को ठोकर मार दिया, जिससे आवेदिका के हाथ, पैर, चेहरे में चोटें आयी थी व कमर की हड्डी फ्रेक्चर हो गई थी। जिसे तत्काल ईलाज हेतु लोगों द्वारा पेन्ड्री अस्पताल राजनांदगांव में भर्ती कराया गया किन्तु स्थिति गंभीर होने के कारण उसे ईलाज हेतु गोंदिया महाराष्ट्र ले जाया गया । वर्तमान में भी आवेदिका कमर से लंगड़ाकर चलती है, बिना सहारे के नहीं चल सकती। आवेदिका को घटना से पूर्व 300 रूपए प्रतिदिन मजदूरी प्राप्त होती थी, किन्तु वर्तमान में वह कोई काम नहीं कर पाने के कारण वह कोई आय अर्जित नहीं कर पा रही है।
घटना के उपरांत आरोपी के विरूद्ध धारा- 279, 337, 338 भारतीय दण्ड सहिता के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया तथा आवेदिका द्वारा धारा-166 मोटर दुघर्टना दावा अधिनियम के तहत मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिसके उपरांत न्यायालय द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी के विरूद्ध प्रस्तुत मामले को नेशनल लोक अदालत हेतु चिन्हांकित करते हुए उक्त प्रकरण में आवेदिका पक्ष में एवं अनावेदक के विरूद्ध चार लाख तेरह हजार रूपए का एवार्ड पारित किया गया। इस प्रकार आवेदिका का मामला नेशनल लोक अदालत में निराकृत कर आवेदिका को क्षतिपूर्ति प्रदान किये जाने हेतु बीमा कपंनी को आदेशित किया गया।

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