- आयुर्वेद में मेध्य रसायन मण्डूकपर्णी, मुलेठी, गिलोय, शंखपुष्पी, अश्वगंधा,आंवला, ब्राह्मी एवं हल्दी के माध्यम से उपचार के संबंध में दी गई जानकारी
राजनांदगांव 27 सितम्बर 2023। विश्व अल्जाइमर दिवस के अवसर पर सियान जतन क्लीनिक योजना अंतर्गत शासकीय आयुष पॉली क्लीनिक राजनांदगांव में मरीज एवं आम नागरिकों को अल्जाइमर रोग के बारे में जानकारी दी गयी। आयुर्वेद चिकित्साधिकारी डॉ. प्रज्ञा सक्सेना ने बताया कि अल्जाइमर रोग अधिकांशत 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को होता है और यह मस्तिष्क में होने वाला रोग है। जिसका दुष्प्रभाव पीडि़त व्यक्ति की स्मरण शक्ति एवं व्यवहार पर पड़ता है। इस रोग में मस्तिष्क की कोशिकायें निष्क्रिय हो जाती हैं और बीटा अमाइलॉएड प्रोटीन मस्तिष्क कोशिकाओं के चारों ओर एकत्र होकर उनकी संचार एवं कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। असामान्य रूप से टॉऊ प्रोटीन कोशिकाओं में एकत्र होकर उन्हें नष्ट करते जाते हैं। इस रोग के लक्षणों में स्मरण शक्ति में कमी, दिनचर्या से जुड़े कार्यों को भूलना, घर का रास्ता भूलना, परिवार के लोगों, वस्तुओं का नाम भूलना, एक ही बात को बार-बार पूछना, परिवार के सदस्यों को पहचानने में परेशानी, सामान्य कार्य करने में कठिनाई, स्थान और समय का भ्रम होना, नयी चीजों को सीखने में परेशानी, किसी से बात में परेशानी, शब्दों को बोलने या लिखने में कठिनाई, व्यवहार में बदलाव, चिड़चिड़ापन, ज्यादा गुस्सा, सामाजिक गतिविधियों में भाग न लेना, नींद में कमी जैसे लक्षण होते हैं। ऐसे लक्षण होने पर न्यूरोलॉजिस्ट एवं मनोचिकित्सक से चिकित्सकीय जांच एवं सलाह अवश्य लेना चाहिए।
डॉ. प्रज्ञा सक्सेना बताया कि दवाओं के साथ रोगी एवं उनके परिजनों के काउंसलिंग की आवश्यकता होती है। उन्होंने अल्जाइमर रोग से बचाव एवं सुधार के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, व्यायाम व योग करने, शराब नहीं पीने, धूम्रपान नहीं करने, रक्तचाप एवं रक्तशर्करा को नियंत्रित रखने, सामाजिक क्रियाकलापों में व्यस्त रहने, नयी चीजें सीखने, अपने रुचि के कार्यों संगीत, चित्रकला आदि करने और परिवार एवं मित्रों के साथ समय व्यतीत करने की सलाह दी। उन्होंने अपने आहार में हरी सब्जियां, मौसमी फल, अंकुरित अनाज, अखरोट, अलसी का प्रयोग करने एवं पूर्ण नींद लेने कहा। इस दौरान आयुर्वेद के मेध्य रसायन मण्डूकपर्णी, मुलेठी, गिलोय, शंखपुष्पी के सेवन के विषय में बताया गया। अश्वगंधा,आंवला, ब्राह्मी एवं हल्दी के प्रयोग के विषय में जानकारी भी दी गयी। इस अवसर पर मरीज एवं उनके परिजन, अधिकारी-कर्मचारी व आम नागरिक उपस्थित थे।