- इसके लिए जागरूकता और सामाजिक चेतना आवश्यक
- कलेक्टर ने सुपोषित राजनांदगांव के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सामाजिक संस्थाओं की बैठक ली
राजनांदगांव, जनवरी 2024। कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में सामुदायिक सहभागिता से सुपोषित राजनांदगांव के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सामाजिक संस्थाओं की बैठक ली। आयोजित बैठक में जिले की विभिन्न सामाजिक संगठन एवं संस्थाओं के पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए जागरूकता और सामाजिक चेतना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चों को गोद लेकर सुपोषित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। बालक-बालिकाओं का सुपोषण करना हम सबकी सामाजिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बच्चों में सुपोषण के लिए हमारे घर और आसपास जो पौष्टिक चीजें उपलब्ध हैं, उनका अधिकतम उपयोग करना जरूरी है और इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक करें। इसके अलावा कुपोषित बच्चों को किस तरह सुपोषित किया जाए, इस पर भी चर्चा की जानी चाहिए। किशोरी बालिकाओं और गर्भवती माताओं को सुपोषित करने का प्रयास हर स्तर पर किया जाना चाहिए। इस कार्य के लिए प्रत्येक नागरिक की सहभागिता जरूरी है, तभी कुपोषण दूर हो पाएगा। उन्होंने कुपोषण दूर करने के लिए सबकी भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
कलेक्टर ने कहा कि सुपोषण के लिए सभी का सजग एवं जागरूक होना जरूरी है। उसके साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि जागरूक जन सुपोषण के तौर तरीकों को और अधिक लोगों तक पहुंचाएं और उन्हें जागरूक करें। इसके अलावा कुपोषण दूर करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सतत मानिटरिंग आवश्यक है, जिससे यह पता चल सकें कि इस दिशा में किया गया प्रयास सफल है। इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा। उन्होंने समय-समय पर बच्चों के वजन कराने पर भी जोर दिया। कुपोषण दूर करने के लिए उन्होंने सामुहिक प्रयास करने पर जोर दिया और कहा कि सुपोषण के लिए निरंतर प्रयास करते रहें, तभी सफलता मिल पाएगी। उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी सामाजिक सस्थाओं के प्रतिनिधियों से सुझाव भी मांगे।
पद्मश्री डॉ. पुखराज बाफना ने बच्चों में सुपोषण बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किशोरी बालिकाओं, गर्भधात्री माताओं तथा बच्चों के सुपोषण के लिए विशेष ध्यान देना जरूरी है। बच्चों के जन्म से लेकर आगे तक की उम्र के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन एवं अन्य प्रकार के फल-सब्जियां पर्याप्त मात्रा में ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जन्म के समय बच्चों का वजन निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप होना चाहिए। यदि उन मापदण्डों के अनुरूप वजन नहीं होने पर बच्चों को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और अन्य खाद्य पदार्थ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को घर में और आस-पास उपलब्ध कई ऐसी खाद्य सामग्री होती है, जिनमें पर्याप्त मात्रा में आयरन, प्रोटीन, विटामिन उपलब्ध होते है। बच्चों को मूंगफल्ली, गुड़, चिक्की, अंकुरित दालों के अलावा पालक व विभिन्न प्रकार की सब्जियां और फलों के रस आदि का सेवन कराएं, इससे बच्चे सुपोषित होंगे।
पद्मश्री श्रीमती फूलबासन बाई यादव ने कहा कि गांव में अनेक महिला समूह क्रियाशील है। उनकी बैठक लेकर सुपोषण के लिए लोगों को जागरूक किया जा सकता है। इससे एक अभियान के रूप में चलाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव देते हुए कहा कि दुलरहीन लईका के लिए माह में परिवारजन से 1-1 रूपए एकत्र कर कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने पर व्यय किया जाए, इस पहल से सुपोषित बच्चे सुपोषित हो सकेंगे। बैठक में उपस्थित अन्य सामाजिक संस्थाओं एवं महिला स्वसहायता समूहों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने संगठनों एवं समूहों द्वारा सुपोषण की दिशा में किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी दी और आगे की रणनीति के लिए आवश्यक सुझाव भी दिए। कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती गुरप्रीत कौर ने बताया कि सुपोषण के लिए समूह एवं सामाजिक संगठनों द्वारा दिए गए सुझावों के अनुरूप आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में विकासखंड स्तर पर अन्य विभिन्न समूहों की बैठक आयोजित कर आवश्यक सुझाव लिए जाएंगे और आगे की रणनीति भी तैयार की जाएगी। एक बार फिर वजन त्यौहार मनाया जाएगा। आगामी 5 फरवरी से 10 दिनों तक वजन त्यौहार चलेगा। इसके बाद 3 माह एवं 6 माह पर पुन: कुपोषित बच्चों के लिए किए गए प्रयासों के प्रतिफल का मूल्यांकन किया जाएगा। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों तथा महिला स्वसहायता समूह के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।