छत्तीसगढ़

किसानों के हित में लिया बड़ा फैसला 4 फरवरी तक होगी समर्थन मूल्य और लिंकिंग पर धान खरीदी

शनिवार एवं रविवार को भी होगी धान खरीदी

जिले में अब तक 50218 किसानों से 314530 मीट्रिक टन धान की हुई खरीदी
अंबिकापुर 01 फरवरी 2024/ राज्य के किसानों के हित में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा बड़ा फैसला लेते हुए समर्थन मूल्य पर नगद और लिंकिंग के आधार पर धान खरीदी अब 4 फरवरी रविवार तक की जायेगी। मुख्यमंत्री श्री साय ने राज्य में रिकार्ड धान खरीदी के बावजूद किसानों को धान बेचने में किसी तरह की परेशानी न हो इसको ध्यान में रखते हुए संवेदनशील निर्णय लिया है।
खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की अंतिम तिथि 31 जनवरी निर्धारित है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने धान बेचने से शेष रह गये किसान भी आसानी से अपना धान सोसायटी के धान उपार्जन केन्द्रों में बेच सकें, इसको ध्यान में रखते हुए समर्थन मूल्य पर नगद और लिंकिंग के आधार पर धान खरीदी 4 फरवरी तक किए जाने के निर्देश संबंधित विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य में शनिवार 03 फरवरी एवं रविवार 04 फरवरी को भी उपार्जन केन्द्रों में धान की खरीदी सामान्य दिनों की तरह करने को कहा है।  ऐसा पहली बार होगा कि 03 फरवरी शनिवार और 04 फरवरी रविवार को भी किसान उपार्जन केन्द्रों में अपना धान बेच सकेंगे। राज्य के किसान प्रतिनिधियों एवं किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि किसानों के हित में मुख्यमंत्री श्री साय का यह संवेदनशील निर्णय से किसान उत्साहित हैं।

जिलें में धान खरीदी की वर्तमान स्थिति-जिला खाद्य अधिकारी ने बताया कि जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 हेतु 01 फरवरी की स्थिति में कुल 50218 किसानों से 314530 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। उन्होंने बताया कि कुल 238414 मीट्रिक टन धान हेतु डीओ जारी किया गया है। जिले में अब तक उठाव किए गए धान की मात्रा 184509 मीट्रिक टन है। धान खरीदी के साथ ही रकबा समर्पण की कार्यवाही भी जारी है जिसके तहत 12642 किसानों ने 1780.56 हेक्टेयर रकबा समर्पण किया है।

अचानक वर्षा से सुरक्षा हेतु केंद्रों में धान को किया गया कवर
जिले में समितियों एवं उपार्जन केन्द्रों में खरीदी पश्चात रखे धान की अचानक वर्षा से सुरक्षा हेतु ढंका गया है। धान को बारिश से भीगने से बचाने के लिए समुचित व्यवस्था की जा रही है। केंद्रों में तिरपाल और कैप कवर से धान को ढंका गया है।

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