छत्तीसगढ़

जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक की पदस्थ से सोनोग्राफी सेवा पुनः प्रारंभ

जगदलपुर, 09 फरवरी 2024/ कलेक्टर श्री विजय दयाराम के. निर्देशानुसार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराये जाने के लिए जिला अस्पताल में जिला खनिज न्यास निधि मद से रेडियोलोजिस्ट चिकित्सक की पदस्थ किया गया, रेडियोलाजिस्ट पदस्थ होने से पुनः सोनोग्राफी की सुविधा प्रारंभ हो चुकी है। सोनोग्राफी सेवा पुनः प्रारंभ होने पेट संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को जिला अस्पताल से गर्भवती महिलाओं और में ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ संजय प्रसाद ने बताया कि जिला अस्पताल में सोनोलॉजिस्ट का पद काफी समय से रिक्त चल रहा था। ऐसे में मरीजों की संख्या और खासकर महिला मरीजों की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा जिला खनिज न्यास निधि से रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक को पदस्थ किया गया है, अस्पताल में अधिक मरीज भार को देखते नियमित सोनोग्राफी किए जाना है। काफी संख्या में गर्भवती महिलाएं जांच उपचार हेतु आती है। ऐसे में अब फिर से जिला अस्पताल में सामान्य व्यवस्था को सुचारू रखते हुए एफआरयू के अंतर्गत चिकित्सक नियुक्त किया गया है। जिला चिकित्सालय जगदलपुर में आज 09 फरवरी 2024 शुक्रवार को 21 गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी जांच किया गया एवं एक बच्ची कुमारी अल्फा 2 वर्ष की शिशु रोग विभाग में जांच हेतु आई हुई थी जिसकी प्रारंभिक जांच में हर्निया रोग संबंधी जांच में जानकारी प्राप्त हुआ एवं जांच उपरांत समय पर उपचार प्रारंभ किया जा सका जिला अस्पताल में सोनोग्राफी सुविधा पूर्णतः निःशुल्क उपलब्ध है,।

     सोनोग्राफी के संबंध में रेडियोलाजिस्ट डॉ गोविन्द सिंह ने कहा कि आमतौर पर गर्भावस्था में अल्ट्रासाउण्ड का उपयोग अधिक किया जाता है। पहला बाहरी यानी ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउण्ड, इसमें महिला शरीर में जिस अंग की जांच करनी है उसके बाहर पेट पर अल्ट्रासाउण्ड प्रोब ले जाते हैं। टेस्ट वाली जगह पर उपर की तरफ जेल लगाते हैं। इस जेल से स्कीन चिकनी हो जाती है और जांच करने में मदद मिलती है। इस टेस्ट के लिए महिला के लिए महिला का मूत्राशय भरा हुआ होना चाहिए जो महिला के लिए असहज हो सकता है। इस टेस्ट का उपयोग गालब्लेडर की बीमारी के बारे में जानने या कैंसर तथा स्तन में गांठ की जांच करने के लिए भी किया जाता है। पेल्विस एरिया का अल्ट्रासाउंड करने की स्थिति में यूरिन करने से मना किया जाता है क्योंकि इसमें अण्डाशय, गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा, मूत्राशय और योनि की स्कैनिंग होती है। जांच से पहले मूत्राशय को भरने के लिए बहुत सारा पानी के लिए कहा जाता है। ऐसा करने से अण्डाशय और गर्भाशय की साफ इमेज दिखाई देती है।

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