chhattishgar

निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार – सचिव जिविसेप्रा कोरबा

माननीय श्री सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन एवं निर्देशानुसार दिनांक जून 2024sns को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर श्रम कल्याण केन्द्र, (जुनियर क्लब) सी.एस.ई.बी. कॉलोनी दर्री कोरबा में विधिक जागरूकता का कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कु. डिम्पल सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा बाल श्रम निषेध दिवस मनाये जाने के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुये बताया गया कि वर्ष 1973 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन अभिसमय संख्या 138 बाल मजदूरी को 15 वर्ष से कम उम्र के किसी व्यक्ति द्वारा किये गये किसी आर्थिक गतिविधियों का उल्लेख करता है। बालकों के मौलिक अधिकार के संबंध में जानकारी देते हुये कहा गया कि संविधान में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराया जाने के संबंध में प्रावधानिक किया गया है। निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा हेतु बच्चों का अधिकार अधिनियम 2009, छै से चौदह वर्ष तक के बच्चों के लिये निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 में कारखाने आदि में बच्चों को काम पर लगाये जाने का निषेध किये जाने के संबंध में बताया गया कि 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को कारखाने, खदान में अथवा अन्य जोखिम भरे रोजगार में कार्य करने हेतु नियुक्त नहीं किया जावेगा। संविधान में प्रावधानित राज्य द्वारा अपनाई जाने वाली नीति निर्देशक सिद्धांत के अंतर्गत मजदूरों, पुरूषों एवं महिलाओं तथा कम उम्र के बच्चों को स्वास्थ्य तथा शक्ति का दुरूपयोग न हो तथा आर्थिक आवश्यकताओं से मजबूर होकर नागरिक ऐसे व्यवसायों में प्रवेश करने के लिये विवश न हों। जो उनकी उम्र एवं शक्ति के अनुकुल नहीं है, तथा बच्चों को स्वस्थ तरीके से तथा स्वतंत्र परिस्थितियों में गरिमा के साथ विकास के लिये अवसर एवं सुविधाऐं दी जायें, तथा शोषण से बचपन एवं युवावस्था की रक्षा किये जाने का दायित्व राज्य को सुनिश्चित किया जाना है। जिसके संबंध में राज्य द्वारा समय -समय पर बच्चों के संबंध में कानून मंे संशोधन किया जाता रहा है। मौलिक दायित्व संबंधी संविधान उल्लेख करता है कि भारत के प्रत्येक नागरिक जो माता-पिता अथवा अभिभावक का दायित्व है कि वह 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को शिक्षा के लिये अवसर प्रदान करें। बाल श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन 1986 में अधिसूचित खतरनाक क्षेत्रों में नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित है। उदाहरण के लिये बीड़ी बनाना, सीमेंट कारखानों में सीमेंट बनाना, फटाखे या बारूद बनाना, एवं सिंलाई जैसे खतरनाक क्षेत्रो में बाल श्रमिक नियोजित किये जाने पर दोषी नियोजक को सजा का प्रावधान है। बच्चों का किशोर न्याय(देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2002 के संक्षिप्त जानकारी दी गई।

श्री राजेश कुमार आदिले, सहायक श्रम आयुक्त कोरबा के द्वारा बाल श्रम के प्रावधानों को विधिवत पालन कराए जाने के संबंध में अवगत कराते हुये कहा कहा कि 14 साल के नीचे के बच्चों को घातक कारखाने/प्लांटों में कार्य ना कराने तथा उन पर भी निगरानी बरती जाने के संबंध में अवगत कराया गया।

श्री संदीप बिसेन के द्वारा किशोर न्याय अधिनियम के अंतर्गत बच्चों के अधिकारों, उनकी देखभाल व संरक्षण पर आवश्यक र्कावाही करते हुये, पालक को बच्चों पर विशेष ध्यान दिए जाने के संबंध में जानकारी दी गई। महिला बाल विकास विभाग की हेल्पलाईन नंबर 1098में आवयक परिस्थिति से निःशुल्क कॉल किए जाने के संबंध में जानकारी प्रदान की गई।
श्री फिरत राम साहू, वार्ड पार्षद के द्वारा बाल श्रम अंतर्गत मोहल्ले में पृथक से शिविर लगाए जाने के संबंध में पुनः विधिक जागरूकता शिविर लगाये जाने के संबंध में आग्रह किया गया है। श्रम विभाग अंतर्गत योजनाओं का क्रियान्वयन व आवश्यक प्रचार-प्रसार किये जाने के संबंध में जानकारी दी गई। मंच का संचालन श्रम निरीक्षक सुरेश कुर्रे द्वारा किया गया।
उक्त अवसर श्रम निरीक्षण श्री बी.पी. साहू, पैरालीगल वॉलीण्टियर्स श्रीमती विजय लक्ष्मी सोनी, नारायण केवर्त एवं अहमद खान के द्वारा विधिक सेवा योजनाओं के संबंध में पाम्पलेट का वितरण किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *