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बच्चों को अच्छी शिक्षा देना माता-पिता की नैतिक जिम्मेदारी

सचिव माननीय श्री सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन एवं निर्देशानुसार दिनांक 12 जून 2024sns/- को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर ग्राम ढेंगुरडीह पंचायत केंरवा में विधिक जागरूकता का कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कु. डिम्पल द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि बालकों के मौलिक अधिकार के विषय में संविधान में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। माता-पिता की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराये, उन्हें अच्छे विद्यालय में पढ़ने के लिये प्रोत्साहित करें, वर्तमान में आज शिक्षा का स्तर बहुत ही उन्नत हो गया है। 14 वर्ष से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में सोचने समझने की क्षमता व्यस्क से कम होती है। बच्चों को अपने रोजगार एवं आय का साधन न बनाते हुये उसके अच्छे भविष्य को संवारने हेतु उन्हें शिक्षित करना अति आवश्यक है, शिक्षा से उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है। बाल श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन 1986 में अधिसूचित खतरनाक क्षेत्रों में नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित है। उदाहरण के लिये बीड़ी बनाना, सीमेंट कारखानों में सीमेंट बनाना, फटाखे या बारूद बनाना, एवं सिंलाई जैसे खतरनाक क्षेत्रो में बाल श्रमिक नियोजित किये जाने पर दोषी नियोजक को सजा का प्रावधान है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली नालसा के द्वारा यह पाया गया कि जेलों में बंदियों की संख्या अधिक बढ़ रही है, आपराधिक मामलों में अनुभवी एवं कुशल अधिवक्ताओं के द्वारा प्रतिरक्षण कार्यवाही हेतु निःशुल्क कौसिल नियुक्त किया जाता है। श्री राजेश कुमार आदिले, सहायक श्रम आयुक्त कोरबा के द्वारा बाल श्रम के प्रावधानों को विधिवत पालन कराए जाने के संबंध में अवगत कराते हुये कहा कहा कि 14 साल के नीचे के बच्चों को घातक कारखाने/प्लांटों में कार्य ना कराने तथा उन पर भी निगरानी बरती जाने के संबंध में अवगत कराया गया। उक्त अवसर आवेश कुरैशी  पैरालीगल वाॅलीण्टियर्स,  अहमद खान एवं उपेन्द्र कुमार राठौर द्वारा  पाम्पलेट का वितरण किया गया।

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