कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सिकल सेल के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि सिकल सेल एक जेनेटिक बिमारी है जो माता-पिता से बच्चों में आता है। एएस एवं एसएस वाले व्यक्ति आपस में शादी न कर नेगेटिव वाले से ही शादी करना सुनिश्चित करें, जिससे हमारे परिवार से एवं समाज से सिकलिंग का उन्मूलन हो सके। उन्होंने बताया कि जो बीमार व्यक्ति है, उनका ईलाज लगातार चिकित्सक के सलाह से लेते रहने से रक्त चढ़ाने की प्रवृत्ति घटती है तथा अन्य लक्षण में भी सुधार दिखता है। जो एएस एवं एसएस वाले हैं उनकी शादी होने से पूर्व काउंसलिंग कर आने वाले पीढ़ी को सिकलिंग मुक्त किया जा सकता है।
सिविल सर्जन डॉ जे के रेलवानी ने बताया कि इस बीमारी के लक्षण बच्चे के जन्म के 5 या 6 माह बाद से ही दिखने शुरू हो जाते हैं, इस बीमारी से शरीर में दर्द, बैक्टीरियल संक्रमण होना, हाथों और पैरों में सूजन, दृष्टि संबंधी समस्याएं, हड्डियों को नुकसान, एनीमिया और प्यूबर्टी या प्रौढ़ता आने में देरी आदि लक्षण दिखते हैं।