हरेली के मौके पर गांव का पूरा परिवेश नजर आ रहा है।
गौपालक अपने साथ जब गौवंश को लेकर चलते हैं और जिस सजधाज के साथ वे नजर आते हैं। वो यहां नजर आती है।
ये एक पूरी संस्कृति की झलक है जो अपनी खेती और पशुधन से आगे बढ़ी।
प्रकृति के प्रति अपने इस ऋण और प्रकृति की इस असीम उदारता के लिए छत्तीसगढ़िया लोग हरेली का त्योहार मनाते हैं।
यह त्योहार जीवन के उल्लास का प्रतीक है।
यह जीवन में शुभ संकल्पों को लेने का त्योहार है।
इस दिन कृषिप्रधान संस्कृति पूरी उम्मीद से आगे बढ़ती है कि उनके पूजा पाठ से अच्छी खेती होगी।
यह उल्लास का पर्व भी है। इसलिए गेड़ी है। पिट्ठूल है। और भी खेल हैं।
[04/08, 11:51] +91 87208 49366: जब क्लाइमेट चेंज जैसे विषय दुनिया के सामने उभर कर नहीं आए थे तब भी छत्तीसगढ़ी समाज में अपने पर्यावरण को लेकर गहरी चेतना थी।
हरेली शब्द हरियाली का संक्षिप्त रूप है।
मानसून में जब पूरी धरती हरियाली से सज जाती है तब प्रदेश का यह पहला त्योहार मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने हरियाली के प्रतीक और सोच वाले इस त्योहार में एक और पुनीत कार्य आज जोड़ा है।
उन्होंने एक पेड़ मां के नाम लगाने की अपील की है।
जो पेड़ हम लगाएंगे उससे हम प्रकृति को भी संवार पाएंगे।
पर्यावरण चेतना के इस अनोखे त्योहार से आज जिस तरह का संदेश जा रहा है। उससे इस पर्व की पवित्रता, उत्सव से जुड़े मनोरंजन के साथ पर्यावरण को सहेजने के लिए किए जा रहे यत्न भी फलीभूत हो रहे हैं।