छत्तीसगढ़

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत फाइलेरिया नियंत्रण हेतु टीएएस प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

अम्बिकापुर, 15 अगस्त 2024/sns/-  जिले में फाइलेरिया अथवा हाथी पांव बीमारी से बचाव और नियंत्रण के लिए कलेक्टर श्री विलास भोसकर के मार्गदर्शन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आर.एन. गुप्ता के निर्देशन में मंगलवार को फाइलेरिया के लिए संचरण मूल्यांकन सर्वेक्षण टीएएस प्रशिक्षण का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सभाकक्ष में किया गया। जिसमें जिले के सभी विकासखण्ड के चिरायु के दल चिकित्सकों, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट, फार्मासिस्ट, पर्यवेक्षक, ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक को प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग एवं शिक्षा विभाग के समन्वय से जिले के सभी चिरायु दलों के द्वारा निर्धारित तिथि में चिन्हित स्कूलों में जाकर कक्षा पहली और दूसरी के सभी विद्यार्थियों का खून जांच किया जायेगा। प्रशिक्षण में डब्ल्यू एच ओ की जोनल समन्वयक डॉ स्नेहाश्री साधनाला के द्वारा फाइलेरिया के फैलाव, जांच की विधि और इसके इलाज के संबंध में विस्तृत जानकारी दिया गया। इस दौरान बताया गया कि सरगुजा जिले में लगभग 5364 बच्चों की जांच टीएएस के अंतर्गत किया जाएगा। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ राजेश गुप्ता के द्वारा बताया गया कि फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है जो कि मादा क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी में व्यक्ति के पैर में सूजन हो जाने पर हाथी पैर की तरह हो जाते है, इस कारण से इसे हाथी पांव कहते है। संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को यह मच्छर काटता है। तो उसमें एक साल बाद इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते है। मुख्यतः हाथी पांव बीमारी के परजीवी शरीर के लिम्फ नोड्स लिम्फ वाहिकाओं का प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि शर्म या संकोच न करते हुए अंडकोष में सूजन, पैरों में सूजन होने पर नजदीकी अस्पताल जाकर इसकी जाँच अवश्य कराना चाहिए। प्रारंभिक जांच में बीमारी का पता चलने पर दवाइयों के सेवन से हाथी पांव बीमारी से बचा जा सकता है। साथ ही मच्छरों के प्रसार को रोकने तथा बीमारी से बचाव हेतु सोते समय मच्छरदानी का उपयोग, घरों के आसपास साफ-सफाई के अलावा पानी के गड्ढों, टूटे बर्तन, गमलों में पानी जमा न होने देना या जला हुआ तेल डालना चाहिए। अनुपयोगी कुआं में भी जला हुआ तेल डालना चाहिए, इससे हम मच्छरों के पनपने के स्त्रोत का नियंत्रण कर सकते हैं। प्रतिवर्ष हांथी पांव बीमारी से बचाव और नियंत्रण हेतु फाइलेरिया डी.ई.सी. गोली और कृमि नाशक अल्बेंडाजोल की गोली सेवन के लिए विशेष कार्यक्रम भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जाता है।

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