छत्तीसगढ़

धान के तना छेदक कीट का प्रभावी नियंत्रण के उपाय

सुकमा, 27 अगस्त 2024/sns/- कृषि विज्ञान केन्द्र,  सुकमा के पौध रोग वैज्ञानिक श्री राजेन्द्र प्रसाद कश्यप, कीट वैज्ञानिक डॉ योगेश कुमार सिदार, कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डॉ.परमानंद साहू व चिराग परियोजना के एस.आर. एफ. यामलेशवर भोयर ने  बताया कि वर्तमान में जिले के धोबनपाल, मुरतोणडा, नीलावरम, तोगपाल, पुजारीपाल,सोनाकुकानार, नयानार का मैदानी भ्रमण के दौरान धान के खेत मे तना छेदक कीट  का आक्रमण दिखाई दे रहा है। इस कीट की इल्ली अवस्था फसल को नुकसान पहुंचाती है इस कीट की चार अवस्था होती है अण्डा, इल्ली, शंखी व तितली। मादा तितली पत्तियों की नोंक के पास  समूह मे अंडें देती है। अंडे से इल्ली निकलती है जो हल्के पीले रंग की होती है इल्ली निकलने के बाद, इल्ली पहले पत्तियों को खाते हुए धीरे धीरे गोभ के अंदर प्रवेश करती है जिससे पौधे की बढवार रूक जाती है। कीट पौधे के गोभ के तने को नीचे से काट देती है जिससे धान के पौधे का बीच वाला हिस्सा सूख जाता है जिसे मृत गोभ (डेड हार्ट) कहते है, फिर इस कीट का प्रकोप  बालियां निकलने के समय होता है जिससे फसल को भारी नुकसान होता है जिससे बालियों मैं दाना का भराव नहीं हो पाता है और बालियां सूख कर सफेद रंग की हो जाती हैं जिसे सफेद बालियां (व्हाइट ईयर हेड) कहते हैं प्रभावित बालियों को खीचने पर आसानी से बाहर निकल जाता है। कई बालियों में मे इल्ली अंदर दिखाई देता है इसके नियंत्रण के लिए प्रभावी उपाय अपनाना चाहिए। जिसमें रोपाई करते समय पौधे के ऊपरी भाग को थोड़ा सा काटकर रोपाई करें। खेतो एवं मेड़ो को खरपतवार मुक्त रखें। संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करें। खेत कि समय समय पर निगरानी करें तथा अण्डे दिखाई देने पर नष्ट कर दे। खेतों मे चिडियो के बैठने के लिए टी आकार की पक्षी मीनार लगाए। नर तितली को आकर्षित करने के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाए। रात्रि चर कीट को पकड़ने के लिए प्रकाश प्रंपच या लाइट ट्रैप खेतो मे लगाए।अण्ड परजीवी ट्राइकोग्रामा जापोनिकम के 50 हजार अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से 2-3 बार खेत मे छोडे।उस समय रासायनिक कीटनाशक का स्प्रै ना करें। नीम अजेडीरेक्टीन 1500 पी पी एम का 2.5 लीटर प्रति हेक्टयर की दर से प्रयोग करें। दानेदार कीटनाशकों का छिडकाव गभोट वाली अवस्था से पहले करना चाहिए।बारिश रुकने व मौसम खुला होने पर कोई एक कीटनाशक का प्रयोग करें। क्लोरेटानिलिप्रोएल 0.4ः जी आर 10 किलो प्रति हेक्टेयर या क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. 1250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या कर्टाफ हाइड्रोक्लोराइड 50: एस.पी. 1000 ग्राम प्रति हेक्टेयर या क्लोरेटानिलिप्रोएल 18.5ः एस.सी. 150 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. 1000-1500 मि.ली.प्रति हेक्टेयर या फ्लूबेंडामाइड 20 प्रतिशत डब्ल्यू. जी. 125 ग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करके प्रभावी नियंत्रण कर सकते हैं , ठीक न होने पर 15 दिन बाद दूसरे कीटनाशक का छिडकाव करें। और अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर रासायनिक दवाइयों का उपयोग करेंस

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