छत्तीसगढ़

चक्रधर समारोह-2024 पद्मश्री डॉ.भारती बंधु की सूफियाना प्रस्तुति ने दर्शकों को किया झूमने पर मजबूर

रायगढ़, 16 सितम्बर 2024/sns/- रायगढ़ में आयोजित 10 दिवसीय 39 वें चक्रधर समारोह के सातवीं संगीत संध्या में दिल्ली, कटक, कोच्चि एवं रायपुर से आए कलाकारों के द्वारा भरतनाट्यम, असमिया सत्रीया नृत्य, सूफी एवं कबीर गायन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दिल्ली से आयी श्रीमती भद्रा सिन्हा एवं गायत्री शर्मा ने भरत नाट्यम नृत्य पर शानदार प्रस्तुति दी। पद्मश्री डॉ.भारती बंधु की सूफियाना प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया, जिससे देर रात तक दर्शक गीतों का आनंद लेते रहे। लकी मोहंती ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर में की जाने वाली आरती को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। इसी तरह श्री हुतेन्द्र ईश्वर शर्मा ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक संस्कृति को गीत एवं सामूहिक नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। इसी तरह डॉ.राखी राय सहित उनकी टीम ने भरतनाट्यम पर जबरदस्त प्रस्तुति दी।
              सांस्कृतिक संध्या की पहली प्रस्तुति में रायगढ़ जिले के स्थानीय प्रसिद्ध कलाकारों की टीम-हुतेन्द्र ईश्वर शर्मा ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक संस्कृति को गीत एवं सामूहिक नृत्य के माध्यम प्रस्तुत किया। टीम के कलाकारों ने खेती-किसानी पर आधारित, सुआ नृत्य सहित ददरिया गीतों से दर्शकों का मनोरंजन किया।  सांस्कृतिक संध्या की द्वितीय प्रस्तुति रायगढ़ जिले की स्थानीय भरतनाट्यम कलाकार डॉ.राखी राय सहित उनकी टीम सुश्री नैनिका कासलीवाल, श्रीजानी बनर्जी ने मंच पर भाव-भंगिमाओं मुद्राओं के साथ आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी। रायगढ़ जिले की इन कलाकारों ने भरतनाट्यम से अपनी प्रतिभा साबित की है। दूरदर्शन में अपनी प्रस्तुति से पहचान बनाने के साथ ही देश-विदेश में भी इन कलाकारों ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति देकर ख्याति अर्जित की है। रामलीला मैदान में आयोजित चक्रधर समारोह में आज भरतनाट्यम की सुंदर प्रस्तुति ने दर्शकों को आनंदित किया।
         रायगढ़ में आयोजित प्रतिष्ठित चक्रधर समारोह 2024 में अनेक जाने-माने विश्वविख्यात कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जा रही है साथ ही इस मंच के माध्यम से क्षेत्रीय और नन्हे कलाकारों को भी अपनी कला को प्रदर्शित करने, उन्हे उत्साहित करने और आगे बढ़ाने के लिए मंच प्रदान किया जा रहा है। इसी क्रम में सारंगढ़ की तेरह वर्षीय कत्थक साधिका सुश्री शार्वी केशरवानी ने आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्त्रोत पर आधारित मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी। उनके इस मनमोहक प्रस्तुति से पूरा चक्रधर समारोह कार्यक्रम स्थल ओम नम: शिवाय के मंत्र से गूंज उठा। इस नृत्य में उनके द्वारा ओम नम: शिवाय के साथ पंचतत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करता मन को छू जाने वाला नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही उन्होंने स्व.पंडित बिरजू महाराज द्वारा रचित अर्धांग की प्रस्तुति के साथ कुछ तोड़े-टुकड़े, कवित्त, परन के बाद कुछ लयकारियों के साथ बहुत ही आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी। सारंगढ़ की तेरह वर्षीय कत्थक साधिका सुश्री शार्वी केशरवानी मोना मॉडर्न इंग्लिश मीडियम स्कूल सारंगढ़ में कक्षा आठवीं की छात्रा है। उन्होंने नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा अपनी माता श्रीमती तोषी गुप्ता से प्रारंभ की और वर्तमान में श्रीराम संगीत महाविद्यालय, रायपुर में गुरु डॉ.राजश्री नामदेव के सानिध्य में नृत्य की बारीकियाँ सीख रही है।
         कत्थक साधिका सुश्री शार्वी केशरवानी ने इतनी कम उम्र में ही कई राज्यीय, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनमोहक प्रस्तुतियां देते हुए अनेक उपाधियाँ और उप्लब्धियाँ 2019 से अब तक लगातार अर्जित करते आ रही है। सुश्री शार्वी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर दुबई एवं थाईलैंड सहित राष्ट्रीय स्तर पर उज्जैन, बैंगलोर, उदयपुर, गोवा, जबलपुर, रायपुर, भिलाई, बिलासपुर, मथुरा, हरिद्वार आदि जगहों पर अब तक लगभग 50 से अधिक मंचों पर अपनी कत्थक की प्रस्तुतियाँ दे चुकी है। सुश्री शार्वी को 2019 में बैंगलोर नृत्य ओजस्वी अवार्ड, थाईलैंड में स्वर्ण अवार्ड, 2020 में नृत्य साधिका सम्मान, 2021 में  कला साधिका सम्मान, 2022 में बाल नृत्यकला श्रेष्ठ अवार्ड, 2022 में दुबई में प्रस्तुति के लिए अन्तर्राष्ट्रीय छात्रवृत्ति तथा दुबई में कत्थक में प्रथम, 2023 में हरिद्वार में उदित सम्मान, इसके अलावा कला अभ्युदिता सम्मान भी उन्होंने प्राप्त किया है। पुन: 2023 में बालनृत्य कला श्रेष्ठ अवार्ड तथा चक्रधर समारोह 2023 तत्पश्चात 2024 में अखंड नूपुर नाद, राष्ट्रीय कला वैभव सम्मान, प्रणवम शिखामणि अवार्ड प्राप्त हुए हैं।
कटक के प्रसिद्ध नर्तक कलाकार श्री लकी मोहंती और विद्या दास ने अपने ओडिसी की प्रस्तुति में पुरी के जगन्नाथ मंदिर में होने वाली आरती और द्रोपदी चीरहरण को अपने नृत्य में रेखांकित किया। उन्होंने अपने सहपाठी कलाकारों के माध्यम से भावभंगिमाओं के साथ लयबद्ध तरीके से नृत्य प्रस्तुत किए। उन्होंने राधा-कृष्ण के अंतरंग अनुराग को भी ओडिसी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।
        चक्रधर समारोह में पहुंचने वाले दर्शकों को विविध भारतीय व क्षेत्रीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य आदि कलाओं से परिचित होने का अवसर मिल रहा है। इसी क्रम में चक्रधर समारोह के सातवे दिन दर्शकों को 500 साल पुरानी असम का प्रमुख असमिया सत्रिया नृत्य भी देखने का अवसर चक्रधर समारोह मंच के माध्यम से मिला। समारोह में रायपुर से पहुंची सुश्री मृदुस्मिता दास और श्री राजीव कुमार दास के युगल द्वारा असमिया सत्रिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। इस अनोखे नृत्य की प्रस्तुति ने चक्रधर समारोह के सातवे दिन की शाम को यादगार बना दिया जिसे उपस्थित दर्शक कभी भूल नहीं पाएंगे। असमिया सत्रिया नृत्य असम का एक सुंदर शास्त्रीय नृत्य है। यह नृत्य आध्यात्मिक व कलाओं से सम्पूर्ण भारतीय सांस्कृतिक नृत्य है। यह पूर्वोत्तर में ठंड के मौसम में सामान्यत: किया जाता है। संगीत के क्षेत्र में सात शास्त्रीय नृत्य है। असमिया सत्रिया नृत्य 8वें शास्त्रीय नृत्य के रूप में शामिल की गई है। यह नृत्य वैष्णव विचारधारा को समर्पित है।
                 दिल्ली से आई श्रीमती भद्रा सिन्हा एवं गायत्री शर्मा ने भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति दी। श्रीमती भद्रा सिन्हा ने बहुत ही कम उम्र से ही भरतनाट्यम नृत्य सीखना शुरू कर दिया था। लेकिन एक दशक बाद गुरु कृष्णमूर्ति के सानिध्य में पुन: भरतनाट्यम का अभ्यास कर रही है। उनके द्वारा आज शक्ति, दृढ़ता, करुणा सहित मां शक्ति को समर्पित मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कोचिन की कलाकार सुश्री विद्या प्रदीप ने मोहिनीअट्टम नृत्य से दर्शकों को मोह लिया। केरल की प्रसिद्ध नृत्य अद्र्ध शास्त्रीय मोहिनीअट्टम केरल के मंदिरों में किया जाता है। केरल के लोकनृत्य को कोचिन की नृत्यांगना ने अपने विशिष्ट अंदाज में प्रस्तुत किया
            कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में पद्मश्री डॉ.भारती बंधु की सूफियाना गायन ने उपस्थित दर्शकों को देर रात तक झूमने के लिए मजबूर किया। कबीर के दोहे को अपने अंदाज में प्रस्तुत कर भारती बंधु और उनकी टीम ने खूब तालियां बटोरी। दर्शकों ने उनकी प्रस्तुति की खूब सराहना की। उन्होंने जरा धीरे-धीरे गाड़ी हाँको…मेरे राम गाड़ी वाले…, मो से नैना मिलाइके…दमादम मस्त कलन्दर…जैसे गीतों से श्रोताओं को आनंदित किया।
           डॉ.भारती बंधु को भक्ति संगीत विरासत में प्राप्त हुई है। उनके साथ मंच में तीन पीढ़ी साथ में थी और सभी ने गायन, संगीत में साथ-साथ प्रस्तुति दी। भारती बंधु ने अभी तक 8000 हजार से अधिक कार्यक्रम देश-विदेश में किये हैं। भारती बंधु ने 30 विश्वविद्यालयों व 30 से अधिक जिलो में कार्यक्रम प्रस्तुतीकरण किया है। स्कूल से यूनिवर्सिटी स्तर तक 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों को अपने कबीर/सूफी गायन से ओत-प्रोत करा चुके हैं। अनेकों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित हैं, 2013 में भारत सरकार ने भारती बंधु को विशिष्ट शैली में कबीर गायन के लिये पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। उन्हें 2015 में विश्व के श्रेष्ठ संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई है। 2020 में राष्ट्रीय स्तर के शिखर सम्मान चक्रधर सम्मान से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मानित किया गया है। अखिल भारतीय स्तर के शिखर सम्मान मध्य प्रदेश शासन द्वारा तुलसी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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