सुकमा, 10 अक्टूबर 2024/sns/कृषि विज्ञान केन्द्र, सुकमा के पौध रोग वैज्ञानिक श्री राजेन्द्र प्रसाद कश्यप व कीट वैज्ञानिक डॉ. योगेश कुमार सिदार ने बताया कि वर्तमान में जिले के मुरतोणडा, नीलावरम, पुजारीपाल, कांजीपानी, धोबनपाल, सोनाकुकानार, नयानार, छिदंगढ़ का मैदानी भम्रण के दौरान धान के खेत में देखा गया कि धान में गभोट की या फूल निकलने कि अवस्था दिखाई दे रही है।
वैज्ञानिकों ने किसान को जरूरी सलाह दी, धान कि फसल मे परागण सुबह के समय होता है और सबसे उचित समय सुबह के 8 बजे से 10 बजे के बीच होता है जब वातावरण में आर्द्रता अधिक और तापमान कम होता है तो यह परागण को बढ़ाता है परागण के समय मौसम साफ हो तो उस समय धान के फूल का मुंह खुला रहता है और धान में स्व परागण इसी समय होता है। स्व परागण होने के बाद धान का फूल बंद हो जाता है। उसके बाद इसमें दूध का भराव होता है और दाने बनता है। परागण कि प्रक्रिया 8 से 10 दिन में पूरी हो जाती है। धान में इसी अवस्था में शीथ ब्लाइट, ब्लास्ट, हल्दी रोग, माहू, पेनिकल माइट व गंधी बग का प्रकोप दिखाई देता है। परागण के समय धान का मुंह खुला रहता है और इस समय हम कोई कीटनाशक या कवकनाशी का छिड़काव करते हैं तो हमारी धान की बालियां बंजर हो जाती है व उसमें दाने नहीं बन पाते हैं। धान की बाली पोचली या सुखी हुई दिखाई देती है इस समय किसान को ध्यान देना जरूरी है कि सुबह के समय छिड़काव ना करके शाम के समय या 3 बजे के बाद दवाई का छिड़काव करें और अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें।