- फसल विविधीकरण एवं जल संरक्षण के विषय पर बैठक सह कार्यशाला का आयोजन
- किसानों को रबी सीजन अंतर्गत उद्यानिकी फसलें दलहन, तिलहन एवं कम पानी की आवश्यकता वाली अन्य फसल लगाने के लिए करें प्रेरित
- जल संकट के दृष्टिगत फसल विविधीकरण पर किया गया मंथन
- 1 अक्टूबर 2024 से कुल 511 ग्रामों में शिविर का आयोजन
राजनांदगांव 18 अक्टूबर 2024। कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में आज जिला पंचायत सभाकक्ष में फसल विविधीकरण एवं जल संरक्षण के मद्देनजर अनुविभागीय कृषि अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी तथा अन्य संबंधित अधिकारियों की बैठक सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। कलेक्टर श्री अग्रवाल ने कहा कि जल जीवन के लिए आवश्यक है। सभ्यताएं नदियों के किनारे विकसित होती हैं और शहर पानी की आवश्यकता को देखते हुए बसते हंै। उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका के केपटाऊन में पानी की अत्यधिक कमी थी। पानी की कमी से कई देश जूझ रहे हंै। जल के अत्यधिक दोहन के कारण भू-जल स्तर में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि जिले में राजनांदगांव, डोंगरगांव एवं डोंगरगढ़ विकासखंड क्रिटिकल जोन में है। यदि अभी हमने जल का संरक्षण नहीं किया, तो आने वाले समय में जल संकट की स्थिति बन सकती है। पहले पिछले 10 वर्ष में 100 से 150 फीट में बोर कराने से पानी आ जाता था, लेकिन भू-जल स्तर इतना कम हो गया है कि 400-600 फीट नीचे चला गया है। ग्लोबल वार्मिग के दुष्प्रभाव के कारण भीषण गर्मी बढ़ी है। वहीं पानी का अत्यधिक दोहन होने के कारण भी जल संकट की स्थिति बन रही है। जिले में मिशन जल रक्षा के तहत जल संरक्षण के साथ ही पौधरोपण भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा यह कर्तव्य है कि पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए अपना योगदान देते हुए समाज के प्रति दायित्व निभाएं। किसानों को रबी सीजन में धान के बदले कम पानी की आवश्यकता वाले फसलों को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने सभी कृषि अधिकारियों से कहा कि किसानों को रबी सीजन अंतर्गत उद्यानिकी फसलें दलहन, तिलहन एवं कम पानी की आवश्यकता वाले फसल लगाने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए सोच बदलने की जरूरत है तथा छोटे किसानों को क्लस्टर में सामूहिक खेती करने के लिए तथा उद्यानिकी फसलों एवं दलहन व तिलहन के फसलों को बढ़ावा देने के लिए कार्य करें।
कलेक्टर ने कहा कि इस वर्ष सभी कृषि से जुड़े अधिकारी धान के बदले अन्य फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष तौर पर प्रयास करें। धान की फसल में 1432 लीटर पानी की जरूरत होती है। जबकि गन्ना, कोदो, रागी, मक्का एवं अन्य फसलों में कम पानी की आवश्यकता होती है। जल संकट एक गंभीर विषय है और इस पर मंथन करते हुए हमें योजनाबद्ध तरीके से समाज एवं लोगों की बेहतरी के लिए कार्य करना है। उन्होंने कहा कि अभी उपयुक्त समय है किसानों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्रदान करें। जिला पंचायत सीईओ सुश्री सुरूचि सिंह ने कहा कि जनसहभागिता से जल संरक्षण के लिए तथा फसल विविधीकरण के लिए कार्य करना है तथा किसानों को पे्ररित करना है, ताकि आने वाले गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या नहीं हो। उप संचालक कृषि श्री नागेश्वर लाल पाण्डेय ने सभी अधिकारियों को कृषक प्रशिक्षण कार्यशाला एवं संगोष्ठी के माध्यम से किसानों को जागरूक करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि 1 अक्टूबर 2024 से कुल 511 ग्रामों में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारीवार शिविर आयोजन किया जा रहा है, जिसमें किसान संगवारी के साथ ग्राम पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधि एवं कृषकों की सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है। इस अवसर पर अनुविभागीय कृषि अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी तथा अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।