अम्बिकापुर अक्टूबर 2024/sns/ कलेक्टर श्री विलास भोसकर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी.एस.मार्को के निर्देशानुसार व जिला मलेरिया अधिकारी डॉ.राजेश कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के सभी विकासखण्ड में फाइलेरिया नियंत्रण के कार्य किये जा रहे हैं। जिसमें हाथीपांव के मरीजों को एमएमडीपी प्रशिक्षण एवं कीट प्रदान किया जा रहा है। इस क्रम में बुधवार को विकासखण्ड अम्बिकापुर भफौली के उप स्वास्थ्य केंद्र सकालो नर्मदापारा एवं उपस्वास्थ्य केंद्र कंचनपुर में शिविर लगाकर हाथीपांव के मरीजों को घरेलू रोग प्रबंधन कीट (टब, मग, टॉवेल, साबुन, एंटीसेप्टिक लोशन,एंटीफंगल मलहम) देकर कुल 19 मरीजों को प्रशिक्षण दिया गया, ताकि घर में रहकर क्षतिग्रस्त अंगों की देखभाल कर सके एवं मरीजों को राहत मिल सके।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में जिले में हाथीपांव के कुल 67 मरीज हैं, जिन्हें प्रतिवर्ष घरेलू रोग प्रबंधन कीट देकर प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे रूग्णता दर में कमी व मरीजों को राहत मिल सके। फाइलेरिया कार्यक्रम के अंतर्गत हाइड्रोसील मरीजों का शतप्रतिशत ऑपरेशन कर जिले को हाइड्रोसील मुक्त किया जाना है। वेक्टर जनित रोगों से बचाव हेतु शत प्रतिशत मच्छरदानी का उपयोग करें व बीमारी की जानकारी तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में देवें। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, सह संक्रमित मच्छर क्यूलेक्स मच्छर मादा के काटने से होता है, इसका प्रभाव शरीर के किसी भी भाग में सूजन, हाइड्रोसील तथा हाथीपांव के रूप में प्रकट होता है। फाइलेरिया को हाथीपांव भी कहा जाता है, इसका प्रभाव सभी आयु वर्ग में हो सकता है। इस बीमारी में शरीर का लिम्फेटिक सिस्टम क्षतिग्रस्त हो जाता है, यदि समय रहते ईलाज किया जाये तो यह संक्रमण बढ़ जाता है, जिसके कारण शरीर के अंग असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं। हाथीपांव के लक्षण 5-6 वर्ष में शरीर के अगों में सूजन के रूप में दिखाई देते हैं। इससे बचाव हेतु शासन द्वारा सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के अंतर्गत फाईलेरिया की गोली खिलाई जाती है, जिससे फाईलेरिया के परजीवी शरीर में नष्ट हो जाये तथा इस बीमारी से विकलांगता की स्थिति न हो।