छत्तीसगढ़

कलेक्टर कृषि मेला सह कृषक संगोष्ठी में हुए शामिल

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने की अपील की
  • कृषि ड्रोन तकनीकी का जीवंत प्रदर्शन कृषकों के समक्ष किया गया
  • कलेक्टर ने कृषकों को मक्का की खेती करने के लिए किया प्रोत्साहित
    राजनांदगांव नवम्बर 2024/sns/ कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल कृषि विज्ञान केन्द्र प्रक्षेत्र सुरगी में आयोजित कृषि मेला सह कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम में शामिल हुए। कलेक्टर ने कृषकों को मक्का की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने किसानों से मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ के बारे में बताया और किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड से मिट्टी में पोषक तत्वों के संबंध में जानकारी मिलती है। जिससे अनुरूप जिन पोषक तत्वों की कमी है, उसकी पूर्ति कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से मौसम आधारित खेती एवं सामूहिक खेती करने की सलाह दी। कलेक्टर ने संतुलित उर्वरक के प्रयोग करने, मृदा के पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाने, मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवों के खेती-किसानी में महत्व के बारे में बताया। उन्होंने किसानों को रासायनिक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती से आय में वृद्धि करने की सलाह दी। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने मृदा स्वास्थ्य, मृदा में कार्बन की मात्रा के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने किसानों को फसलों की सुरक्षा व कृषि कार्य में उच्च तकनीक को अपनाने की सलाह दी।
    कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल डॉ. आर. इलनचेलियन ने जिले की मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रस्तुत किए एवं कृषकों को मृदा स्वास्थ्य बढ़ाने के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कृषि विज्ञान केन्द्र सुरगी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गुंजन झा ने केन्द्र की विभिन्न गतिविधियों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने केन्द्र में संचालित केन्द्र सरकार के बीज उत्पादन कार्यक्रम अंतर्गत 40 हेक्टेयर में चना, मॉडल विलेज के अंतर्गत में 200 एकड़ में सरसों, सामूहिक अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन अंतर्गत 75 एकड़ अलसी व केन्द्र के प्रक्षेत्र पर बीज उत्पादन कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. नूतन रामटेके ने गाय के कोसली प्रजाति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इफको रायपुर के डॉ. एस.के. सिंह ने नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और एनपीके कंसोटिया के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इसके उपयोग से रासायनिक उर्वरक की मात्रा में कमी आती है, जिससे मृदा उर्वरकता बढ़ती है। साथ ही साथ वेस्ट डी कम्पोजर के प्रयोग के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में आदिवासी उपयोजना (टीएसपी) अंर्तगत में 300 लाभान्वित कृषकों को चना 12.60 क्विंटल, बरबट्टी 70 किलोग्राम एवं अन्य सामग्री का वितरण किया गया। अनुसूचित जनजाति के उपयोजना अंर्तगत आदिवासी कृषकों को अनाज वाली फसलों के बाद दलहनी व तिलहनी फसलों को लगाने एवं मिट्टी की उर्वराशक्ति को बनाये रखने हेतु प्रोत्साहित किया गया। इस दौरान कृषि ड्रोन तकनीकी का जीवंत प्रदर्शन कृषकों के समक्ष किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन कृषि विकास अधिकारी श्रीमती सुषमा शुक्ला द्वारा किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कृषक, महिला कृषक, अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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