छत्तीसगढ़

कृषकों को मछली पालन की उन्नत तकनीकों से किया गया जागरूक

तालाब भ्रमण कर किसानों को दी गई प्रायोगिक जानकारीसुकमा, दिसंबर 2024/sns/ कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव के निर्देशानुसार अधिकारियों के द्वारा फील्ड भ्रमण कर किसानों की आय में वृद्धि के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। जिले में उपलब्ध जल संसाधन की अधिकता का लाभ उठाकर कृषक वर्ग अपनी आय में वृद्धि कर अपने परिवार और जिले का नाम रोशन कर सकते हैं। इसी प्रयास को सफल बनाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र सुकमा के कार्यक्रम सहायक डॉ. संजय सिंह राठौर ने छिंदगढ़ ब्लॉक के सुभाषपारा, उरमापाल और बरसेरास के तालाबों का निरीक्षण किया। उन्होंने किसानों से मिलकर तालाब के किनारे प्रायोगिक रूप से मछली पालन से संबंधित तकनीकी जानकारी दी। डॉ. राठौर ने बताया कि जिले के तालाबों में निम्फिया, कमल, एकॉर्निया, हाइड्रिला एवं अन्य मार्जिनल खरपतवार बहुत अधिक मात्रा में हैं और किसानों को लगता है कि मछली इन्हें खाती है जिससे उनकी बढ़त तेजी से होती है।जबकि असल बात ये है कि ये खरपतवार मछली के ऑक्सीजन, आहार की प्रतिद्वंदी और उनके प्रगति को प्रभावित करते हैं। किसानों को इनके उन्मूलन के लिए आवश्यक मैनुअल, केमिकल और बायोलॉजिकल विधि के बारे में बताया गया। साथ ही तालाब में उचित मात्रा में प्लवक संवर्धन की प्रक्रिया को भी समझाया गया। उन्होंने कहा कि यदि इंडियन मेजर कार्प (रोहू, कतला, मृगल) एवं एक्जोटिक कार्प (सिल्वर, ग्रास, कॉमन कार्प) के पालन वाले तालाब में प्लवक की मात्रा को संतुलित रखा जाए तो चारा की लागत को काफी कम किया जा सकता है। समय समय पर चूना (पानी के पी एच को 7.5 के आसपास रखता है) और नमक (बफर का काम करता है) के प्रयोग से बीमारी की संभावना भी कम हो जाती है। डॉ राठौर ने मछली पालन की नवीन तकनीक (एक्वापोनिक, बॉयफ्लॉक, रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम) के बारे में भी बताया। उन्होंने किसानों को इंटीग्रेटेड फिश फॉर्मिंग ( मछली के साथ बतख, मुर्गी, बटेर, गाय, सूअर) की सलाह दी, जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत होकर नए तरीकों के लिए तैयार रहें। इस दौरान श्री लखन बघेल भी उपस्थित थे।

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