सारंगढ-बिलाईगढ़, जनवरी 2025/sns/कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू के निर्देशन में जिला के मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एफ आर निराला ने विकासखंड बिलाईगढ़ के शासकीय उच्चतर माद्यमिक विद्यालय सलिहा में विकासखण्ड एवं जिला के चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम स्वास्थ्य पे चर्चा परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया।कार्यक्रम के प्रारंभ में स्कूल के प्रिंसिपल हितेंद्र कुमार पांडेय ने अतिथियों का परिचय कराया। जिला के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एफ.आर. निराला ने स्वास्थ्य जागरूकता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि स्कूल के बच्चों में रक्त अल्पता मतलब खून की कमी होने की सर्वे रिपोर्ट है।
शादी के समय सिकलसेल रिपोर्ट का मिलान जरुरी
शासन के आदेशानुसार जन्म से 40 वर्ष तक के सभी लोगों की सिकलसेल की जांच अभियान जारी है, जिसमें आगे चलकर इनकी उपचार का प्रबंध हो सके वहीं दूसरी ओर शादी के समय काउंसलिंग कर सिकलसेल की बीमारी को पीढी दर पीढ़ी होने से बचाया जा सकता है। शादी के समय कुंडली मिलान के अलावा सिकलसेल की जांच रिपोर्ट की भी मिलान करने की रिवाज को बढ़ावा दिए जाने की ज़रूरत है।इसमें समाज प्रमुखों की भी भूमिका अहम है। इस दौरान उपस्थित स्कूली बच्चों, शिक्षक एवं ग्रामवासियों का सिकलिन, शुगर, बीपी, एचबी, एनीमिया आदि स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
कृमि के कारण होती है एनीमिया
छोटे बच्चों में कृमि के कारण एनीमिया होना आम बात है। छोटे बच्चे आमतौर पर घर के आंगन में नंगे पैर खेलते है, जिन्हें कृमि होने की प्रबल संभावना होती है। ऐसे कृमि को नग्न आंखों से नही देखा जा सकता। यह कृमि पैर के तलवे से प्रवेश करता है। कुछ कृमि भोज्य पदार्थ के माध्य्म से शरीर मे प्रवेश करता है। अंतड़ियों में निवास करता है। अंतड़ियों में अपनी आकर एवं संख्या को बढ़ाता है। कृमि अंतड़ी में जीवित रहने के लिए बच्चों के द्वारा ग्रहण की गई पोषक पदार्थ और खून को चुस्ता है। कृमि के द्वारा लगातार चूसते रहने के कारण बच्चे कमजोर हो जाते है। यही कारण है कि बच्चे को खून की कमी होता है। खून की कमी होने के कारण बच्चे की शारीरिक विकास एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होता है। बच्चो में सीखने की क्षमता कम होती है। बच्चे का आईक्यू भी कम होता है। ऐसे बच्चों को चक्कर आना, जल्दी थक जाना, पढ़ाई में मन न लगना, पढ़ने से याद न होना आदि परेशानी होती है। ऐसे परेशानी को दूर करने के लिए शासन द्वारा वर्ष में 02 बार अगस्त एवम फ़रवरी में कृमिनाशक दवाई खिलाई जाती है। पिछले दो वर्षो से हमारे जिले के दो विकासखण्ड बरमकेला एवम सारंगढ में आईडीए जिसमें इभरमेक्ट्रिन, डीईसी और एलबेंडाजोल की गोली एक साथ खिलाई जाती है। क्रीमीनाशक के साथ हाथी पाव की गोली भी खिलाई गयी थी। इस वर्ष बिलाईगढ़ में भी आईडीए कार्यक्रम फरवरी के महीने में चलाए जाएगी। बच्चों के साथ अन्य को भी दवाई खिलाई जाएगी। बच्चो को आयुष्मान कार्ड के उपयोग, समाज से टीबी एवं कुष्ठ उन्मूलन करने के लिए एवं समाज में तम्बाकू निषेध के अभियान को विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी।
कार्यक्रम में बालवाड़ी ब्लॉक नोडल संजीव राजेत्री, संकुल समन्वयक छतराम नेताम, शिक्षक हेमलाल मनहर, पदुम सिंह जगत, नूतन कुमार साव, चन्द्रशेखर भोई, चुमुक़ लाल बरिहा, पूर्णचंद पटेल, पुष्पा यदु, जगेश्वर प्रसाद गहीर, धर्मेंद्र कुमार साहू, संजीव राजेत्री एवं समस्त स्कूली छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।