- डोंगरगढ़ एवं डोंगरगांव विकासखंड में फाइलेरिया से बचाव के लिए कराया जाएगा सामूहिक दवा का सेवन
- कलेक्टर ने नागरिकों से घर के सदस्यों एवं पड़ोसियों को फाइलेरिया की दवा खाने के लिए प्रेरित करने की अपील
राजनांदगांव फरवरी 2025/sns/राष्ट्रीय फाईलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 27 फरवरी से 13 मार्च 2025 तक डोंगरगढ़ एवं डोंगरगांव विकासखंड में फाइलेरिया से बचाव के लिए सामूहिक दवा का सेवन कराया जाएगा। कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने जिले के नागरिकों से घर के सदस्यों एवं पड़ोसियों को फाइलेरिया की दवा खाने के लिए प्रेरित करने की अपील की है। उन्होंने दवा खाने से मना करने वाले परिवारों को समझाने में स्वास्थ्य कार्यकर्ता की सहायता करने कहा है। फाईलेरिया (हाथी पांव) जैसे गंभीर बीमारी से बचाव के लिए (2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती माताओं एवं गंभीर बीमार व्यक्ति को छोड़कर) फाईलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नेतराम नवरतन ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। फाईलेरिया रोग के नियंत्रण के लिए जिले में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय फाईलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 27 फरवरी से 13 मार्च 2025 तक डोंगरगढ़ एवं डोंगरगांव विकासखंड में फाइलेरिया से बचाव के लिए सामूहिक दवा का सेवन कराया जाएगा। जिसके तहत 27 फरवरी से 2 मार्च 2025 तक संस्थाओं में बूथ लगाकर लाभार्थियों को दवा सेवन कराया जाएगा। 3 से 10 मार्च 2025 तक ड्रग एडमीनीस्टट्रर द्वारा सामुदाय स्तर पर गृह भेंट कर दवा सेवन कराया जाएगा। 11 से 13 मार्च 2025 तक छूटे हुए लाभार्थियों को मॉप-अप राउंड के तहत दवा का सेवन कराया जाएगा। 27 फरवरी से 13 मार्च 2025 तक सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एमडीए कार्नर में लाभार्थियों को दवा सेवन कराया जाएगा।
हाथीपाव (फाइलेरिया) रोग संक्रिमित मच्छरों के काटने से होता है। फाइलेरिया रोग का कोई इलाज नहीं है, बचाव ही इलाज है। इस रोग से बचाव के लिए नि:शुल्क फाईलेरिया की दवा दी जा रही है। जिसके सेवन से फाईलेरिया रोग से बचा जा सकता है। सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के दौरान शत-प्रतिशत फाइलेरिया की दवा का सेवन कर हाथी पाव से बचा जा सकता है। यह दवा अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर बनी है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है। ये दवा खाली पेट नहीं खानी है, ये दवा सभी को खानी चाहिए चाहिए एवं उन्हें फाइलेरिया के लक्षण हो या ना हो जिससे भविष्य में फाईलेरिया रोग से बचा जा सकता है एवं शहर में पनप रहे परजीवी का नाश हो सके और सभी लोग फाईलेरिया के भय से निजात पा सके। दवा जब अपना कार्य शुरू करती है, तो कुछ देर के लिए जी मितलाना सरदर्द या चक्कर आना जैसी प्रतिक्रिया सवाभाविक है, जो कुछ ही देर में स्वत समाप्त हो जाती है। यह दवा के सकारात्कम प्रभाव है एवं परजीवी के मरने के शुभ संकेत है।