पंप सघन क्षेत्रों की बिजली समस्या से निपटने के लिए किसानों से सहयोग की अपेक्षा
राजनांदगांव मार्च 2025/sns/ छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी राजनांदगांव क्षेत्र द्वारा सभी विभागीय संभाग राजनांदगांव, खैरागढ़, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, मोहला, पंडरिया एवं कवर्धा के सभी कृशि पंप उपभोक्ताओं से अपने कनेक्षनों में पर्याप्त क्षमता अनुसार अनिवार्य रूप से कैपेसिटर लगाकर विद्युत विभाग को सहयोग प्रदान करने की अपील की गई है। राजनांदगांव क्षेत्र में (राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, एवं कबीरधाम जिला) स्थायी, अस्थायी मिलाकर विभिन्न क्षमता के लगभग 01 लाख 17 हजार सात सौ कृषि पम्प स्थापित है जिनके माध्यम से कृशक उपभोक्ता अपने खेतों में सिंचाई का कार्य करते हैं गर्मी के मौसम में धान, मक्का और चने की फसल में सिंचाई के लिये एक साथ कृषि पंप चलने से लोड बढ़ गया है। ये एक विद्युत इंजीनियरिंग का सिद्ध नियम है कि इंडक्शन मोटर कार्य करने के लिए विद्युत लाइन से दो तरह का पॉवर लेती है, एक कार्य करने के लिए वास्तविक पॉवर और दूसरा रिएक्टिव पॉवर। रिएक्टिव पॉवर एक तरह की बिजली होती है जो मोटर में खपत नहीं होती और स्रोत को वापस आ जाती है, पर विद्युत प्रणाली में अनावश्यक विद्युत भार ,वोल्टेज ड्राप ,लाइन लॉस आदि के लिए जिम्मेदार होती है। रिएक्टिव पॉवर लेने के कारण मोटर का पॉवर फैक्टर कम हो जाता है ,जिसे हम मोटर के टर्मिनल में उचित क्षमता का कैपेसिटर लगाकर बढ़ा सकते हैं। पॉवर फैक्टर कम होने से मोटर विधुत लाइन से आवश्यकता से अधिक करंट (एम्पीयर) लेती है। जब प्रणाली में जुड़ी हजारों मोटर एक साथ अधिक एम्पियर लेती हैं तो सिस्टम का वोल्टेज अत्यधिक कम हो जाता है जिसका दुष्प्रभाव कृषकों के साथ साथ विद्युत प्रणाली पर पड़ता है। हमारे राज्य में गर्मी के मौसम में धान, मक्का और चने की फसल में सिंचाई के लिए एक साथ हज़ारों लाखों कृशि पंप चलने से वास्तविक के साथ साथ रिएक्टिव लोड भी बढ़ जाता है। यह समस्या उन क्षेत्रों में गंभीर हो जाती है जहां पर पंप कनेक्शनों का घनत्व ज्यादा है उन क्षेत्रों में रिएक्टिव लोड अधिक हो जाने के कारण एल टी लाइन ,वितरण ट्रांसफार्मर, 11 के0 व्ही0 लाइन 33/11 के0व्ही0 उपकेंद्र आदि में ओवर लोडिंग की समस्या हो जाती है और वोल्टेज कम हो जाता है। अनेकों वितरण ट्रांसफार्मर इसी कारण से फेल हो जाते हैं। यह रिएक्टिव लोडिंग विद्युत प्रणाली में कुल लोडिंग का लगभग 20 से 25 प्रतिशत तक होती है जिसे उचित क्षमता का कैपेसिटर लगाकर लगभग समाप्त किया जा सकता है। केपेसिटर नहीं लगाए जाने से वोल्टेज ड्राप होता है जिसके कारण मोटर अधिक करंट लेती है, जिससे मोटर की पानी निकालने की क्षमता कम हो जाती है एवं पम्प के ख़राब हो जाने की संभावना भी बढ़ जाती है।
मोटर पम्प के लो पॉवर फैक्टर के कारण आवश्यकता से अधिक एम्पीयर लेने के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सीएसपीडीसीएल द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे नए उपकेंद्रों का निर्माण, पावर/वितरण ट्रासफार्मरों की क्षमता वृद्धि, अतिरिक्त ट्रांसफार्मरों की स्थापना,लाइनों का निर्माण आदि। इन सभी कार्यों को पूर्ण करने में समय लगता है एवं करोड़ों रुपये के बजट की आवश्यकता होती है। हम मोटर के टर्मिनल पर रिएक्टिव लोडिंग को कम करने के लिए कैपेसिटर लगाकर काफ़ी हद तक समस्या का निराकरण कर सकते हैं ।बाज़ार में विभिन्न ब्रांड के निम्नदाब कैपेसिटर उचित/अल्प दरों पर उपलब्ध हैं
इस सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा ज़ारी छ0ग0 राज्य विद्युत प्रदाय संहिता 2011 में भी इंडक्शन मोटरों में निम्नानुसार निम्न दाब कैपेसिटर लगाए जाने के नियम बनाये गए हैं ।
बाक्स
पंप की क्षमता – केपिसिटर
0 से 3 एचपी तक – 1 केवीएआर
3 से 5 एचपी तक – 2 केवीएआर
5 से 7.50 एचपी तक – 3 केवीएआर
7.50 से 10 एचपी तक – 4 केवीएआर
10 एचपी से 15 एचपी तक – 5 केवीएआर
विद्युत विभाग ने समस्त कृषकों से अपील करते हुए कहा है कि अपने स्थापित पंप के स्टार्टर के समीप उपरोक्तानुसार केपेसिटर स्थापित करें, ताकि लो वोल्टेज की समस्या का काफ़ी हद तक निदान हो सके एवं पंप/ट्रांसफार्मर ख़राब होने की समस्या से बचा जा सके। यह प्रमाणित तकनीकी उपाय है और इससे समस्या तत्काल काफी हद तक हल हो जायेगी। उक्त केपेसिटर की लागत राशि, होने वाले अन्य क्षति से बहुत ही कम है। यदि क्षेत्र के सभी कृषक इस नियम का पालन करें तो इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।