राजनीतिक दलों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित करने और विभिन्न मुद्दों का विधिक ढांचे के भीतर समाधान करने के निर्देश
रायपुर 4 मार्च 2025/भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा आज नई दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के दो दिवसीय सम्मेलन के प्रथम दिवस निर्वाचन प्रक्रिया को सुगम और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा की गई। इस सम्मेलन में 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं।
यह सम्मेलन मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) श्री ज्ञानेश कुमार के कार्यभार ग्रहण करने के बाद पहला सम्मेलन है। सम्मेलन में मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों के साथ संवाद किया।
पारदर्शिता और विधिक प्रावधानों के तहत कार्य करने पर बल
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार ने चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे पारदर्शिता के साथ कार्य करें और सभी वैधानिक दायित्वों को ईमानदारी से निभाएँ। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी अधिकारी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 एवं 1951,निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम 1960, निर्वाचन संचालन नियम 1961 और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार कार्य करें।
राजनीतिक दलों के लिए नियमित बैठकें अनिवार्य
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने निर्देश दिए कि राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें आयोजित की जाएं और किसी भी प्रकार के मुद्दों का समाधान वैधानिक प्रावधानों के तहत किया जाए।
उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी अपने दायित्वों को भली-भाँति समझें और उन्हें कड़ाई से लागू करें। सम्मेलन में निर्देशित किया गया कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिकों का मतदाता सूची में पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए। बूथ लेवल अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाए कि वे मतदाताओं के प्रति विनम्र रहें। प्रत्येक मतदान केंद्र पर 800 से 1200 मतदाता होने चाहिए और उनकी दूरी मतदाता के निवास स्थान से अधिकतम 2 किमी के भीतर होनी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं की सुविधा के लिए न्यूनतम आवश्यक सुविधाओं (AMF) वाले मतदान केंद्र स्थापित किए जाएँ। शहरी क्षेत्रों में ऊँची इमारतों और झुग्गी बस्तियों में भी मतदान केंद्र बनाए जाएँ ताकि मतदान प्रतिशत बढ़ाया जा सके।
पहली बार जिला निर्वाचन अधिकारी और ईआरओ भी कर रहे हैं भागीदारी
उल्लेखनीय है कि सम्मेलन में पहली बार प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश से एक जिला निर्वाचन अधिकारी और एक ईआरओ को भी शामिल किया गया है, ताकि जमीनी स्तर पर चुनाव प्रबंधन की प्रक्रियाओं को और सुदृढ़ किया जा सके।