छत्तीसगढ़

जंगल को आग न लगाएं : वन विभाग



जंगल में आग को रोकने टोल फ्री 18002337000 नंबर जारी

 फायर वाचर्स के साथ निगरानी करेगें वन कर्मी

सारंगढ़ बिलाईगढ़ मार्च 2025/sns/होली पर्व पर कुछ लोगों के द्वारा और मौसम में परिवर्तन पर जंगल में आग लगने की घटनाएं घटित होती हैं जिसको लेकर वन विभाग और वन अधिकारी गंभीर है। दावानल और वनोपज संग्रहण के लिए लगाये जाने वाले आग की सूचना देने टोल फ्री 18002337000 नंबर जारी किया है, ताकि फायर वाचर्स और वन कर्मियों की टीम मौके पर पहुंच आग पर काबू पा सके। वन विभाग की ओर से गांवों में जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के माध्यम से लोगों को आग की लपट से होने वाली नुकसान की जानकारी दी जा रही है। जिले का गोमर्डा अभ्यारण्य घने जंगल से घिरा हुआ है। वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों के लिए वनोपज संग्रहण जीविकोपार्जन का प्रमुख साधन है। ग्रामीण महुआ, चार, तेंदू का संग्रहण कर न सिर्फ जीविकापार्जन करते है, बल्कि वनोपज से होने वाले आमदनी का उपभोग शादी विवाह सहित घरेलू उपयोग के लिए सामान की खरीददारी भी करते है। मौसम ने अब करवट बदलना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में वनोपज संग्रहण की तैयारी भी शुरू हो गई है। ग्रामीण सुबह होते ही जंगल जाकर पूरे दिन महुआ, चार व तेंदू सहित अन्य वनोपज का संग्रहण करते हैं। ग्रामीण वनोपज संग्रहण के लिए पेड़ों के नीचे आग लगा देते है। यह आग देखते ही देखते पूरे जंगल को चपेट में ले लेता है। इसी तरह दावानल के कारण जंगल के भीतर आग लगने की घटनाएं होती है। जंगल के भीतर आग लगने से न सिर्फ औषधीय, ईमारती पेड़ पौधे जलकर खाक हो जाते है। वन्यप्राणियों की जीवन सांसत में पड़ जाता है। ऐसी घटनाओं को सारंगढ़ बिलाईगढ़ वनमण्डलाधिकारी  पुष्पलता टंडन ने गंभीरता से लिया है। उन्होने जंगल में लगने वाली आग और दावानल की रोकथाम के लिए टोल फ्री 18002337000 नंबर जारी किया है। टोल फ्री के जरिए वन अफसर के अलावा संबंधित रेंज, सर्किल और बीट के अधिकारियों, कर्मचारियों को आग के संबंध में सूचना दी जा सकती है। सूचना मिलते ही वनकर्मी फायर वाचरों के साथ मौके पर पहुंचेगें। उनके द्वारा धधकती आग को रोकने का
प्रयास किया जायेगा ताकि जंगल को नुकसान से बचाया जा सके।  वनमन्डलाधिकारी के निर्देश पर वनकर्मी गांवों में जनजागरूकता अभियान चला रहे है ताकि लोगों को जंगल में लगने वाली आग और दावानल के कारण होने वाले नुकसान से अवगत कराया जा सके।

आग लगाने वाले पर होगी कार्यवाही

जंगल में आग लगने से पेड़-पौधे जलकर खाक हो जाते है। वन्यजीवों का जीवन सांसत में पड़ जाता है। लिहाजा आग लगने के मामले को भारतीय वन अधिनियम 1927 व वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत् अपराध की श्रेणी में रखा गया है। वन विभाग के कर्मचारी एवं फायर वॉचर्स जंगल की निगरानी कर रहे हैं। इसके अलावा आधुनिक उपकरण का इस्तेमाल कर रहे हैं। आग लगाने वाले पर वन अधिनियम के तहत् कार्यवाही की जाएगी।

ऐसा न करें
* जंगल से गुजरते समय बीड़ी, सिगरेट के जलते टुकड़े न फेकें।
* वनोपज संग्रहण के लिए पेड़ के नीचे आग न लगायें।
* जंगल के भीतर आग लगाकर न छोड़े।
* वन के आसपास खेतों में आग न लगायें।
* तेन्दूपत्ता की पैदावार बढ़ाने के लिए आग न लगायें।

ऐसा करें

* जंगल में आग देखते ही पीटकर या पानी से बुझा दें। आग ज्यादा फैलने पर नियंत्रण करना कठिन होता है।

* महुआ फूल, साल बीज एवं अन्य वन उपज एकत्र करने के लिए पेड़ के नीचे झाडू लगाकर सूखे पत्ते अलग करें।

* आग लगने पर नजदीक के वनरक्षक, डिप्टी रेंज (परिक्षेत्र सहायक) परिक्षेत्र अधिकारी, वन प्रबंधन समिति के अध्यक्ष को तुरंत सूचित करें।

* आग बुझाने में वन कर्मचारियों, फायर वाचर्स एवं ग्रामीणों की सहायता करें।

* बड़े पैमाने पर आग दिखने पर पास के वन विभाग के कार्यालय, वनकर्मी, अग्नि रक्षक को सूचित करें

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