पेयजल समस्या के लिए दूरभाष नंबर 07762-222972 पर कर सकते है संपर्क, 30 जून तक रहेगा प्रभावशील
शिकायत/सुझाव के लिए विभागीय टॉल फ्री नंबर 18002330008 में भी कर सकते है संपर्क
रायगढ़, मार्च 2025/sns/ ग्रीष्म ऋतु को ध्यान में रखते हुए पेयजल समस्या के त्वरित निराकरण एवं सुचारू रूप से संचालन/संधारण हेतु जिला स्तर पर पेयजल नियंत्रण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। पेयजल नियंत्रण प्रकोष्ठ का दूरभाष नंबर 07762-222972 है। यह प्रकोष्ठ 30 जून 2025 तक के लिए प्रभावी रहेगा।
कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड रायगढ़ से प्राप्त जानकारी के अनुसार उप अभियंता श्री गीतेन्द्र पटेल मोबा.नं. 94061-55333 को नियंत्रण प्रकोष्ठ प्रभारी बनाया गया है। इसी तरह सहायक मानचित्रकार श्री आर.के.खलखो मोबा.नं.88393-90621 एवं स्थल सहायक श्री दिलीप साहू मोबा.नं.97136-25981 को नियंत्रण प्रकोष्ठ सहायक बनाया गया है। प्रकोष्ठ में पेयजल समस्या के निराकरण से संबंधित डाक एवं पत्राचार प्रकोष्ठ प्रभारी द्वारा किया जाएगा। प्रकोष्ठ प्रात: 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक कार्य करेगी। जिला स्तर पर खण्ड कार्यालय रायगढ़ एवं प्रत्येक उपखंड मुख्यालय तथा विकासखण्ड स्तर पर समस्त जनपद पंचायत मुख्यालय में शिकायत पंजी संधारित की जाएगी। शिकायत/सुझाव उक्त स्थलों पर दर्ज किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त विभागीय टॉल फ्री नंबर 18002330008 में भी शिकायत/ सुझाव दर्ज किए जा सकेंगे।
उपखण्ड स्तर पर भी अधिकारी-कर्मचारी पेयजल प्रकोष्ठ के तहत 30 जून तक के लिए अपने आवंटित कार्य के अतिरिक्त पेयजल प्रकोष्ठ से संबंधित कार्य करेंगे। इनमें उपखंड कार्यालय रायगढ़ श्री कमल प्रसाद कंवर-सहायक अभियंता, मोबा.नं.93401-25207, विकासखण्ड रायगढ़ प्रभारी श्रीमती आरती साव-उपअभियंता मोबा.नं.82230-63440, विकासखण्ड पुसौर प्रभारी श्री गीतेन्द्र पटेल-उप अभियता मोबा.नं.94061-55333 पेयजल प्रकोष्ठ से संबंधित कार्य करेंगे। इसी तरह उपखंड कार्यालय घरघोड़ा श्री परिमल तिवारी-सहायक अभियंता मोबा.नं.88783-59171, विकासखण्ड घरघोड़ा प्रभारी श्रीमती वर्षा महंत-उप अभियता मोबा.नं.9340725002, विकासखण्ड तमनार प्रभारी श्रीमती संध्या चतुर्वेदानी-उप अभियंता मोबा.नं.8349950218 तथा विकासखण्ड लैलूंगा प्रभारी जी.एस.चौहान-उपअभियंता मोबा.नं.94241-87875, उप खण्ड कार्यालय खरसिया श्री श्रीराम नरनावरे-सहायक अभियंता मोबा.नं.94062-43647, उपखण्ड कार्यालय खरसिया प्रभारी कु.उमा सिदार-उप अभियंता मोबा.नं.77480-23595, विकासखण्ड खरसिया प्रभारी श्री आर.एन.शर्मा-उपअभियंता मोबा.नं.87707-06336, उपखण्ड कार्यालय धरमजयगढ़ प्रभारी तथा विकासखण्ड धरमजयगढ़ प्रभारी श्री जे.सी.भगत-प्रभारी सहायक अभियंता मोबा.नं.9131044438 पेयजल प्रकोष्ठ से संबंधित कार्य करेंगे।
स.क्र./57/ राहुल
आंगनबाड़ी सहायिका पद के लिए 26 मार्च तक मंगाए गए आवेदन
रायगढ़, 12 मार्च 2025/ एकीकृत बाल विकास परियोजना रायगढ़ (शहरी)अंतर्गत आंगनबाड़ी केन्द्र समाधिगली वार्ड क्रमांक 31 में आंगनबाड़ी में रिक्त सहायिका पद के लिए 26 मार्च 2025 तक इच्छुक आवेदिकाओं से आवेदन मंगाए गए है। आवेदिका अपना आवेदन परियोजना अधिकारी एकीकृत बाल विकास परियोजना रायगढ़ (शहरी)में जमा कर सकते है। नियुक्ति से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश व नियम शर्तो के लिए परियोजना कार्यालय के सूचना पटल पर अवलोकन कर सकते है।
स.क्र./58/राहुल
सखी सेंटर की समझाईश पर अनावेदक आवेदिका के साथ रहने को तैयार
रायगढ़, 12 मार्च 2025/ जिला महिला संरक्षण अधिकारी महिला एवं बाल विकास रायगढ़ ने जानकारी देते हुए बताया कि सखी सेंटर रायगढ़ में 23 सितम्बर 2024 को एक प्रकरण प्राप्त हुआ। जिसमें अनावेदक मध्यप्रदेश का निवासी है। आवेदिका के पुत्र का एक वर्ष पूर्व सड़क दुर्घटना में देहांत हो चुका है व अनावेदक (पति) द्वारा आवेदिका को बेटे के देहांत का जिम्मेदार ठहराया जाता था व शराब का सेवन कर शारीरिक, मानसिक रूप से प्रताडि़त करते हुए विवाद किया जाता है। आवेदिका सखी के माध्यम से अनावेदक के साथ प्रेमपूर्वक रहने का समझाईश दिलाने में सहायता चाहती थी। 24 अक्टूबर 2024 को अनावेदक ने सखी वन स्टॉप सेंटर में उपस्थित होकर बताया कि बेटे के मृत्यु के कारण काफी दुखी है, जिस कारण कभी-कभी शराब का सेवन करते थे। वर्तमान में अनावेदक आवेदिका के साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहता है। अनावेदक को परामर्श कार्यवाही में शराब का सेवन नहीं करने व आवेदिका के साथ विवाद न करने व प्रेमपूर्वक साथ रहने का समझाईश दी गई। दोनों पक्षों की पृथक-पृथक 3 बार संयुक्त काउंसलिंग करते हुए समझाईश दी गई व प्रकरण को निरंतर फालोअप में रखा गया। 3 जनवरी 2025 को आवेदिका द्वारा बताया कि कि सखी के परामर्श कार्यवाही उपरांत अनावेदक के व्यवहार में सुधारात्मक परिवर्तन हुआ है। शराब का सेवन भी कम कर दिया गया है। आवेदिका द्वारा सखी का आभार प्रकट करते हुए लिखित में अग्रिम कार्यवाही नहीं करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। उक्त आधार पर 3 जनवरी 2025 को प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
स.क्र./59/राहुल
15 मार्च तक मनाया जा रहा जिले में विश्व ग्लूकोमा सप्ताह
शासकीय जिला चिकित्सालय के नेत्र वार्ड में मरीज एवं उनके परिजनों की दी गई ग्लूकोमा संबंधी जानकारी
मेडिकल कालेज एवं शासकीय जिला चिकित्सालय में किया जाता है ग्लूकोमा का नि:शुल्क जाँच एवं उपचार
रायगढ़, 12 मार्च 2025/ कलेक्टर श्री कार्तिकेया के निर्देशन एवं सीएमएचओ डॉ.अनिल जगत के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्पदृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत ‘ग्लूकोमा मुक्त विश्व के लिए एक जुट होना’ थीम पर रायगढ़ सहित जिले के समस्त विकासखण्ड में 15 मार्च 2025 तक जनसामान्य में जागरूकता लाने विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में गत 10 मार्च को शासकीय जिला चिकित्सालय रायगढ़ के नेत्र वॉर्ड में मरीज एवं उनके परिजन के साथ-साथ चिकित्सालय के डॉक्टर सहित समस्त उपस्थित स्टॉफ को ग्लूकोमा संबंधित जानकारी दी गई। जिसमें रोग के कारण एवं उपचार की जानकारी वरिष्ठ नेत्र सहायक अधिकारी द्वारा बताया गया कि मनुष्य में 40 वर्ष बाद आँखों में कंचियाबिंद होने की संभावना रहती है। प्रत्येक व्यक्ति को 40 वर्ष होने पश्चात हर 6 माह में अपने आँखो का जाँच नेत्र रोग विशेषज्ञ से करवाना चाहिए। मनुष्य के आँखो मे तरल पदार्थ एक्वस भरा होता है यह आँखो के गोले को चकना बनाये रहता है यदि तरल पदार्थ का प्रवाही तंत्र प्रभावित होने पर आँखो के अंदर का दबाव बढ़ जाता है। फलस्वरूप नेत्र के पर्दे के तंतु को छती पहुँचती है जिससे देखने मे कठिनाई होती है। इस बीमारी से नजर खराब होने के बाद उसका कही उपचार नही हो सकता इस बीमारी को काला मोतिया भी कहा जाता है। ग्लूकोमा होने के प्रमुख कारण में आँखो मे तेज दर्द का होना आँखे लाल हो जाता है दृष्टि कमजोर हो जाता है यदि इसका उपचार तुरंत कराया जाए तो बची होई नजर को बचाया जा सकता है। दूसरे प्रकार के ग्लूकोमा मे आँखो मे दर्द नही होता रात को खम्भे के बल्ब को देखने पर बल्ब के चारो ओर इंद्रधनुस की तरह सप्तरंगी दिखाई देता है। इस कंडीशन मे धीरे-धीरे नजर कम होने लगता है। नजदीक का चश्में नंबर जल्दी-जल्दी बढ़ता है या कम उम्र में ही पढऩे मे कठिनाई होती है। नजरों के चारो तरफ का दायरा कम होने लगता है। उजाले से अंधेरे में जाने पर आँखो को अंधेरे में देखने में समय बढऩे लगता है। ग्लूकोमा का उपचार दवाइयों की सेवन से किया जाता है। विषम परिस्थिति में एक छोटा सा ऑपरेशन से उपचार कर रोशनी को बचाया जा सकता है। जागरूकता कार्यक्रम मे सहायक नोडल अधिकारी अंधत्व शाखा से श्री राजेश आचार्या ने बताया की ग्लूकोमा का उपचार जिले के मेडिकल कालेज, शासकीय जिला चिकित्सालय में नि:शुल्क जाँच एवं उपचार किया जाता है एवं समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मिलने वाले संभावित ग्लूकोमा के मरीज को नेत्र सहायक अधिकारी द्वारा प्राथमिक उपचार कर रेफर किया जाता है