हर्बल गुलाल से सजी होली, महिलाओं की आत्मनिर्भरता की मिसाल
– महिलाओं ने हर्बल गुलाल बेचकर कमाए 50 से 60 हजार रुपयेसुकमा मार्च 2024/sns/ ग्राम पंचायत की महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। सुकमा जिले की ये महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं। घरेलू कार्यों और बच्चों के पालन-पोषण तक सीमित रहने वाली ये महिलाएं अब स्वयं का व्यवसाय कर न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन रही हैं। इसी क्रम में, सुकमा में महिलाओं द्वारा बनाए गए हर्बल गुलाल की बिक्री ने 50 हजार रुपये की आमदनी प्रदान की।
ग्राम पंचायत नागारास की गौरी स्व सहायता समूह की सदस्य शिवानी कश्यप और मुके कवासी ने बताया कि वे अपने गांव की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर बिहान योजना के अंतर्गत कार्य प्रारंभ किया। पिछले तीन वर्षों से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही हैं।
हर्बल गुलाल बनाने की प्रक्रिया
महिलाओं द्वारा तैयार किए गए हर्बल गुलाल पूरी तरह से प्राकृतिक और स्वास्थ्य के अनुकूल हैं। ये गुलाल अरारोट में, हरी सब्जियों, हल्दी, गुलाब के फूल और चुकंदर से बनाए जाते हैं। इन उत्पादों का उपयोग त्वचा के लिए सुरक्षित होने के कारण बाजार में इनकी मांग बढ़ रही है।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
गौरी स्व सहायता समूह की महिलाएं अपने द्वारा अर्जित आय को घर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और बच्चों की शिक्षा में खर्च कर रही हैं। इस कार्य में महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे वे अपने उत्पादों को अधिक परिष्कृत रूप में तैयार कर सकें।
शिवानी कश्यप और मुके कवासी न केवल स्वयं आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि जिले की अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं। मई 2017 में गठित इस समूह में वर्तमान में 10 सदस्य शामिल हैं। उन्होंने हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण लिया, जिससे उन्हें और अधिक मुनाफा प्राप्त हुआ। महिलाओं की इस सफलता को देखते हुए उन्हें मिनी स्टेडिय सुकमा में 11 से 13 मार्च तक लगने वाले क्षेत्रीय सरस मेला एवं किसान मेला में अपने उत्पादों के स्टॉल लगाने का अवसर प्रदान किया गया।
नए व्यवसाय की ओर अग्रसर महिलाएं
अब गौरी स्व सहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल बनाने के अलावा हल्दी, मिर्च, और धनिया मसाला बनाने का भी कार्य कर रही हैं। यह न केवल उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को दर्शाता है, बल्कि समाज में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का भी प्रतीक है