ओड़िसा सरकार के सहयोग से जोरा नाला के स्ट्रक्चर में डाली गई रेत की बोरियां
किसानों को जोरा नाला की समस्या का निराकरण की दी गई जानकारी
राज्य सरकार की पहल पर इंद्रावती जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर से पानी का प्रवाह नदी के मुख्य धारा में
ओड़िसा सरकार के सहयोग से जोरा नाला के स्ट्रक्चर में डाली गई रेत की बोरियां
दिसम्बर 1975 को मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश एवं मुख्यमंत्री उड़ीसा के मध्य समझौता हुआ था, जो बाद में गोदावरी जल विवाद प्राधिकरण के निर्णय वर्ष 1978 का हिस्सा बना। इन्द्रावती के उड़ीसा मध्यप्रदेश (छत्तीसगढ़) सीमा पर उड़ीसा 45 टी.एम.सी. जल उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगा।कम बारिश होने पर पानी की उपलब्धता की यह मात्रा समानुपातिक रूप से कम की जा सकेगी। मध्यप्रदेश (छत्तीसगढ़) डाउनस्ट्रीम प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त 18 टी.एम.सी. जल का उपयोग कर सकेगा जिसमें प्रत्येक परियोजना में 1.5 टी.एम.सी. से ज्यादा उपयोग नहीं कर सकेगा। 11 जुलाई 1979 के अनुबंध के अनुसार उड़ीसा अपर इन्द्रावती परियोजना साईट तक सम्पूर्ण पानी का उपयोग कर सकेगा।
जोरा नाला की समस्या
उड़ीसा राज्य की सीमा पर ग्राम सूतपदर में इन्द्रावती दो भागों में बंट जाती है। एक हिस्सा इन्द्रावती नदी के रूप में लगभग 5 कि.मी. उड़ीसा में बहते हुए ग्राम भेजापदर में छत्तीसगढ़ में प्रवेश करती है जो डाउनस्ट्रीम में जगदलपुर, चित्रकोट से होते हुए गोदावरी में मिल जाती है। दूसरा हिस्सा जोरा नाला के रूप में 12 कि.मी. बहते हुए शबरी (कोलाब) नदी में मिल जाती है। पूर्व में जोरा नाला का पानी इन्द्रावती में आ रहा था। कालांतर में कटाव के साथ-साथ जोरा नाला का बहाव बढ़ता एवं इन्द्रावती का बहाव कम होता गया। समस्या गंभीर होने पर दिसम्बर 2003 को प्रमुख अभियंता, उड़ीसा एवं प्रमुख अभियंता छत्तीसगढ़ की बैठक में निर्णय लिया गया कि इन्द्रावती जोरा नाला के मुहाने पर बराबर मात्रा में पानी के बंटवारे के लिए एक पक्का स्ट्रक्चर का निर्माण किया जाये। पक्का स्ट्रक्चर का निर्माण उडीसा के द्वारा किया जाये एवं दूसरी डिजाईन सी.डब्लू.सी द्वारा की जाये। पक्के स्ट्रक्चर निर्माण की प्रक्रिया के दौरान छत्तीसगढ़ द्वारा लगातार गैर मानसून समय (नवम्बर से जून) में 8.511 टी.एम.सी. जल छत्तीसगढ़ सीमा पर उपलब्ध कराने की मांग की गई जिसमें उड़िसा शासन ने 3.475 टी.एम.सी. जल उपलब्ध कराने की सहमती दी।
तीसरी अंतर्राज्यीय बैठक सीडब्लूसी दिल्ली में आयोजित की गई थी। यह बैठक जगदलपुर एवं डाउन स्ट्रीम क्षेत्र की जल समस्यां को लेकर की गई थी। इस बैठक में छत्तीसगढ़ द्वारा पूर्व में वांछित गैर मानसून समय आवश्यकता की जानकारी दी गई थी। इन्द्रावती नदी एवं जोरा नाला में संरचना (स्ट्रक्चर) का निर्माण कार्य जून 2016 में पूर्ण किया गया था। पक्का स्ट्रक्चर निर्माण के उपरान्त भी जोरा-नाला मुहाने पर इन्द्रावती एवं जोरा नाला में बराबर पानी नहीं जा रहा है। जोरा नाला में ज्यादा पानी जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ को लगभग औसतन 40.71 प्रतिशत एवं उडिसा राज्य को 59.29 प्रतिशत ग्रीष्म ऋतु में जल प्रवाह हो रहा है।
इन्द्रावती नदी में पक्के स्ट्रक्चर के डाउन स्ट्रीम में लगभग 5 कि.मी. में उड़िसा द्वारा अत्यधिक पानी का दोहन किया जा रहा है जिससे छत्तीसगढ़ की सीमा पर इन्द्रावती में न्यूनतम बहाव है। पक्के स्ट्रक्चर के डाउन स्ट्रीम में बाईं ओर इन्द्रावती नदी में कटाव हो रहा है जिसे समझौते के अनुसार इसकी मरम्मत उड़िसा द्वारा की जानी चाहिए। पक्के स्ट्रक्चर के डाउन स्ट्रीम में दांयी ओर, जोरा नाला में कटाव हो रहा है जो कालांतर में बढ़कर इन्द्रावती में मिल सकता है जिससे इन्द्रावती का बहाव डायवर्ट हो सकता है. समझौते के अनुसार इसकी मरम्मत उड़िसा द्वारा की जानी चाहिए। 06 जनवरी 2021 को उडिसा राज्य जल संसाधन विभाग के दो मुख्य अभियंता एवं अन्य अधिकारी तथा छत्तीसगढ़ राज्य जल संसाधन विभाग के अधिक्षण अभियंता, कार्यपालन अभियंता एवं अन्य अधिकारी के साथ जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर का संयुक्त निरीक्षण किया गया जिसमे कंट्रोल स्ट्रक्चर के अपस्ट्रीम में जल भराव हेतु रेत एवं बोल्डर इत्यादी को हटाने व जोरा नाले के घुमाव को सीधा करने के लिए तथा घुमावदार भाग के डाउन स्ट्रीम हिस्से को मिट्टी से बंद करने का अनुरोध किया, इस संबंध में उड़ीसा राज्य जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के द्वारा उनके उच्चाधिकारियों से चर्चा कर आवश्यक कार्यवाही करने का विश्वास दिलाया गया था। वर्ष 2018 के बाद इन्द्रावती नदी में सतत जल का प्रवाह कम हो रहा है ।