छत्तीसगढ़

भारत की ईवीएम को इंटरनेट से नहीं जोड़ा जा सकता; तुलसी गबार्ड के वोटिंग मशीन में हेराफेरी वाले बयान पर ECI सूत्रों का जवाब

भारत की ईवीएम को इंटरनेट से नहीं जोड़ा जा सकता; तुलसी गबार्ड के वोटिंग मशीन में हेराफेरी वाले बयान पर ECI सूत्रों का जवाब

अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम को हैकर्स के लिए असुरक्षित बताने संबंधी बयान पर भारत के चुनाव आयोग (ECI) के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि भारत में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं और किसी भी प्रकार के इंटरनेट या नेटवर्क से जुड़ने की संभावना नहीं है। ईसीआई के अनुसार, भारत में प्रयोग की जाने वाली ईवीएम एक सरल, सटीक और ऑफलाइन प्रणाली पर आधारित हैं, जिन्हें न तो इंटरनेट, वाई-फाई और न ही इन्फ्रारेड से जोड़ा जा सकता है।

तुलसी गबार्ड ने क्या कहा था?

तुलसी गबार्ड ने हाल ही में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि इस बात के प्रमाण मिले हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम वर्षों से हैकर्स के लिए असुरक्षित रहे हैं और इनका उपयोग चुनाव परिणामों में हेराफेरी के लिए किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इन खामियों को देखते हुए अमेरिका में पेपर बैलेट प्रणाली को अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि मतदाता चुनाव की निष्पक्षता पर भरोसा कर सकें।

भारतीय EVM पूरी तरह सुरक्षित, ऑफलाइन और पारदर्शी प्रणाली है – निर्वाचन आयोग

ईवीएम इंटरनेट, वाई-फाई या किसी नेटवर्क से नहीं जुड़ती; 5 करोड़ से अधिक वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन हो चुका है

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने स्पष्ट किया है कि भारत में प्रयोग की जा रही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (EVMs) पूरी तरह सुरक्षित, भरोसेमंद और तकनीकी रूप से इंटरनेट से स्वतंत्र प्रणाली पर आधारित हैं।

चुनाव आयोग के अनुसार, कुछ देशों में जिन Electronic Voting Systems का उपयोग किया जाता है, वे कई तकनीकी प्रणालियों, नेटवर्क और सॉफ़्टवेयर का मिश्रण होती हैं। इनमें इंटरनेट, वाई-फाई या निजी नेटवर्क का उपयोग भी होता है, जिससे साइबर सुरक्षा से संबंधित खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।

भारत की EVM – एक पूर्णतः ऑफलाइन, स्वतंत्र और सटीक प्रणाली

भारत की EVM न तो किसी नेटवर्क, वाई-फाई या इंटरनेट से जुड़ती हैं और न ही इनमें रिमोट एक्सेस संभव है। ये मशीनें एक साधारण, सटीक और भरोसेमंद कैलकुलेटर की तरह कार्य करती हैं, जो केवल बटन दबाने पर मतदाता की मंशा के अनुसार मतदान दर्ज करती हैं।

राजनीतिक दलों की उपस्थिति में जांच

EVM की तकनीकी संरचना और विश्वसनीयता को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वैधता प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, मतदान प्रक्रिया से पहले मॉक पोल (प्रायोगिक मतदान) कराया जाता है, जिसमें राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि स्वयं मशीनों की जांच और पुष्टि करते हैं। यह प्रक्रिया मतदान केंद्र स्तर पर भी होती है।

वीवीपैट मिलान प्रणाली से पारदर्शिता और मजबूत

भारतीय EVM के साथ VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) सिस्टम जुड़ा होता है, जिससे प्रत्येक मतदाता द्वारा डाला गया वोट एक पर्ची के माध्यम से प्रदर्शित होता है।
अब तक देशभर में 5 करोड़ से अधिक वीवीपैट पर्चियों का मिलान और सत्यापन राजनीतिक दलों की उपस्थिति में मतगणना के दौरान किया गया है, और हर बार ईवीएम की सटीकता प्रमाणित हुई है।

कोई वायरलेस, ब्लूटूथ या डाटा ट्रांसफर की संभावना नहीं

भारत की EVM में कोई वायरलेस, ब्लूटूथ या डाटा ट्रांसफर तकनीक नहीं होती। मशीन दो यूनिट – बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट – के रूप में होती है, और इनका आपसी संबंध भी केवल केबल के माध्यम से होता है। इसलिए किसी भी प्रकार की हैकिंग या छेड़छाड़ की संभावना शून्य है।

ईसीआई का उद्देश्य – हर मतदाता को निष्पक्ष, सुरक्षित और भरोसेमंद मतदान अनुभव देना

भारत निर्वाचन आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हर मतदाता को निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी मतदान का अवसर मिले। भारत की EVM प्रणाली इस उद्देश्य को पूर्ण रूप से साकार करती है और विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को तकनीकी रूप से सबसे भरोसेमंद बनाती है।

ईसीआई ने 28,000 से अधिक राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ संवाद किया

चुनाव आयोग ने हाल ही में देशभर में अपने सबसे बड़े राजनीतिक जुड़ाव अभियान के तहत 4,719 बैठकों का आयोजन किया, जिसमें मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO), जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO) के स्तर पर संवाद स्थापित किया गया। इन बैठकों में कुल 28,000 से अधिक राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और निर्वाचन प्रणाली की प्रक्रिया व पारदर्शिता को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।

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